हैलो फ्रेंड्स.....(पोस्ट पढ़ लो) 😊😊
सच में ...बच्चा ही तो है जैसे बच्चो को खुश करने के लिए हम उनकी पसंद की चीज़ उनके सामने पेश कर देते है वैसे ही सिर्फ दस मिनट के लिए वो कर दो जो ये चाहता है....और फिर देखो इसकी खुशी 💖 ...लेकिन बच्चो को समझा-बुझा कर हम उनकी ज़िद शांत कर सकते है लेकिन इसे जो चाहिए वो चाहिए ।।
इसकी ज़िद पूरी ना हुई तो सीधा असर हम पर पड़ता है ...क्योंकि ये अपने साथ साथ हमें भी परेशान करेगा। कब क्या अच्छा लगे और क्या बुरा लग जाए कुछ नहीं पता ।।
इसको हम ऐसे समझ सकते है कि हम सब जानते है की इसे सिर्फ प्यार और अपनेपन की भूख होती है कोई प्यार के दो "बोल" बोल दे तो ये उसी का हो के रह जाता है और कोई इसे तकलीफ़ दे तो ये उससे ऐसा दूर होता है कि फिर वो इंसान "सोने" का बन कर ही क्यों ना आ जाए ...इसे फिर कोई फ़र्क नहीं पड़ता।।क्योंकि:-
"इसे चाहिए कोई इसके जैसा
किसी बेहतर से इसकी बनती नहीं"
कई बार इस ज़िद्दी बच्चे की वजह से हमें कुछ लम्हों को पैदल चलकर पार करना पड़ता है, रातों को इसलिए जागना पड़ता है कि कल जब ये शांत हो तो हम इससे नज़रें मिला पाए ताकि इसे ये ना लगे कि हमने इसकी ज़िद को शांत करके आगे बढ़ने की बजाए उन लम्हों को लांघकर आगे बढ़ने की जल्द बाज़ी कर दी ।। कई बार ये कहा तक पहुंच जाता है ये बताने के लिए कुछ पंक्तियां है मेरे पास उम्मीद करती हूं आपको पसंद आएंगी:-
क्यों कभी दिल अकेले में गुनगुनाना चाहता है,
क्यों कभी दिल महफिलों में तन्हाई चाहता है,
क्यों खफा है दिल खुद से इतना कि, हर पल किसी का साथ चाहता है।
क्यों अपने सपनों को किसी और के नाम कर देना चाहता है ,
खुद को भुला कर क्यों किसी के लिए जीना चाहता है , क्यों दे कर किसी को मुस्कुराहट उसके आंसू लेना चाहता है, क्यों देकर अपना सुकून रातों कि बेचैनी लेना चाहता है
आखिर क्यों खफा है दिल खुद से इतना की हर पल किसी का साथ चाहता है।।
अपनी चाहतें भुलाकर क्यों किसी की ख्वाहिशें पूरी करना चाहता है , क्यों किसी की बाहों में मरना और आंखों में जीना चाहता है
ज़िन्दगी के सफ़र में अपनों को साथ लेकर चलना चाहता है, शायद इसलिए खफा है दिल खुद से इतना की हर पल किसी का साथ चाहता है ।।