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मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

class room

  हैलो फ्रेंड्स ....(पोस्ट पढ़ लो)🙂🙂


शाम को जब रोटी खाने बैठो तो एक ख्याल हमेशा आता है मेरे मन में ...की देखो तो ज़रा ये गोल गोल छोटी छोटी रोटियां कैसे मुझे पूरा दिन नचाती है ।।


जी हां.. पहले यही एक वजह थी इंसान के पास जिसके लिए वो दिन रात मेहनत करता था लेकिन आज की इस दिखावटी दुनिया ने चंद सुकून के पलों को भी छीन लिया है ।। आज कल हर इंसान चाहे ना चाहे इस दिखावटी दुनिया का हिस्सा बन ही जाता है ।

रोटी ,कपड़ा, मकान जैसी बुनियादी ज़रूरत के आगे भी उसने एक ख्वाहिशों कि दुनिया बसा ली है ।। यही ख्वाहिशें आज उसे ऑक्सीजन से भी ज्यादा ज़रूरी लगती है....इसके लिए वो लाख समझौते करने को भी तैयार है।। इन ख्वाहिशों कि जंजीरों में खुद को जकड़ा हुए पाकर बहुत बार महसूस होता है... की

      कितना कुछ छूटता चला गया...

      बहुत कुछ समेटने के चक्कर में ।।

चांद को छूने की चाह में अपने अपनों और उन दोस्तों को भी पीछे छोड़ दिया ..जो हमारे जीने कि वजह हुआ करते थे....लेकिन दिन भर की भागमभाग के बाद जब काली रातें काटने को हमारी तरफ दौड़ती है ...तो चंद पंक्तियां याद आती है...जो पहले अगर समझ आ जाती तो ज़िन्दगी आज कुछ और होती...

एक दिन ज़िन्दगी ऐसे मुकाम पर पहुंच जाएगी..                                     

दोस्ती तो सिर्फ यादों में ही रह जाएगी...

हर कप कॉफ़ी याद दोस्ताना की दिलाएगी और 

हंसते हंसते आंखे नम हो जाएगी...

ऑफिस के चैंबर में classroom नज़र आएगी, पर चाहने पर भी क्लास ना लग पाएगी,

पैसा तो बहुत होगा मगर उन्हें लौटने की वजह खो जाएगी                                    

जी ले खुल के इन पलकों में मेरे दोस्त क्योंकि,                                    

ज़िन्दगी इस प्लान को फिर से नहीं दोहराएगी ।।

2 टिप्‍पणियां:

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