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रविवार, 25 अक्तूबर 2020

Rakhi

  आज के समय  मे " रक्षाबंधन " पर  एक बहन का हाल ....


देखो  ना भाई  "राखी " आयी हैं ..

हमारे बचपन  की याद  साथ  लायी  हैं 

ना जाने दुनिया  ने ये कैसी  रीत  बनायी  हैं 

तुम तो भूल ही गये  मुझे  जब  से भाभी घर आयी हैं ...


माँ कहती  हैं की सब भूल कर  चली  आऊ ...राखी  की घडी  आयी हैं ..

पर  दिल कहता  हैं क्यू  जाऊ  उस भाई के पास...जिसने चरित्र पर  मेरे ऊंगली उठायी  हैं ...


पापा देखो ना आपकी Princess की आज आंखे  भर आयी  हैं ...

भाई ने हमारे रिश्ते  की डोर भाभी को थमाई हैं .....


डाटो ना पापा उसे  ....कहो  ना उसे की वो मेरा भाई हैं ...

भूल जाऊंगी मै  सब  ...की  उसने  मुझे कितनी चोट पहुचाई हैं 


माँ कह  दो भाई से ....की भले  ही राखी  की घडी आयी हैं ....

पर  राखी उस चोट से बड़ी  नहीं  ...जो  उसने  मुझे  पहुचाई हैं ....

यादो  मे रहेगा  वो हमेशा  मेरी पर ...माँ अब मै  लौट  ना पाऊंगी ....

क्यूकी  ज़िन्दगी  मुझे उस मोड  पर  ले आयी हैं ....


4 टिप्‍पणियां:

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