रात की ख़ामोशी ....
हवा के हल्के झोंके...
तारों की थाल सा भरा आसमान....
और उनके बीच एक खूबसूरत सा चांद......
है ना बहुत मोहक नज़ारा लेकिन इस नजारे को मेरे शब्दों में सुनने से शायद वो महसूस ना हो जो इस नजारे को अपनी आखों से देखने पर महसूस होगा।
लेकिन ये आपके नज़रिए और मूड पर निर्भर करेगा कि आप उसे कैसे देखते है ।।
अब दो इंसान एक सा तो नहीं सोच सकते ।आप मेरी इस बात को कुछ इस तरह समझ सकते है कि अगर कोई इंसान अच्छे मूड में है तो उसे ये रात की ख़ामोशी सुकून देने वाली होगी....हवा के हल्के झोंके इतराते हुए उसके बालों और गालों को सहलाते हुए से लगेंगे,
तारों से भरा थाल सा आसमान उसे और ज्यादा रोमांचक कर देगा । और उन तारों के बीच शर्माता हुआ वो खूबसूरत सा चांद उसे उसकी मेहबूबा सा लगेगा ...और फिर वो घंटो ऐसे ही बैठकर इस सुहानी सी रात को अंदर तक महसूस करना चाहेगा।। लेकिन वहीं दूसरी ओर अगर कोई इंसान बेचैन और परेशान सा हो उसे ये रात कैसी महसूस होगी उसको समझाने के लिए चंद लाइन है मेरे पास...उम्मीद करती हूं आपको पसंद आयेगी ...
जैसे ज़िन्दगी कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह जाती है।।
ओंस की बूंद से भीग गई पत्तियां कितनी
पर फिर भी वो ओंस के आगोश में डूबना चाहती है
जैसे बर्फ ना चाहते हुए भी अपने ही पानी में घुल जाती है ।।
खामोश रात में फैली है तन्हाई कितनी
फिर भी धड़कने गुनगुनाना चाहती है
जैसे मंदिर में दिए की जलती हुई बाती
खुद को हवा से बचना चाहती है ।।
ख़ामोश है आज रात कितनी पर फिर भी कुछ कहना चाहती है
जैसे ज़िन्दगी कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह जाती है ।।
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