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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

Papa

हैलो दोस्तों कैसे है आप? 

मैं आपकी होस्ट और दोस्त आज फिर आपके लिए कुछ जिंदगी से जुड़ा हुआ, कुछ रोज की परेशानियों से अलग, और दिल को सुकून देने वाला विषय लेकर आई हूं।

जी हां, वैसे तो दुनिया का हर रिश्ता अजीज़ और प्यारा होता है, हर रिश्ते की अपनी एक गरिमा, अपनी एक जगह होती है। लेकिन दोस्तों, कुछ रिश्ते ऐसे होते है जो कभी ये बयां नहीं करते कि हम उनके लिए कितने महत्वपूर्ण है, वो कहते है ना की हर अहसास को बयां नहीं किया जाता। आज मैं उसी अहसास से भरे हुए रिश्ते को लेकर आई हूं आपके लिए, जो आपसे कभी ये नहीं कहते की आप में उनकी जान बसती है, लेकिन वो पूरी दुनिया को आप पर लूटा सकते है वो भी बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी स्वार्थ के!!

जी हां अब तक आप समझ चुके होंगे की मैं किस रिश्ते की बात कर रही हूं। जी बिलकुल मैं बात कर रही हूं एक पिता और उनके बच्चे रिश्ते के बारे में, तो आइए कुछ देर के लिए डूब जाए इस प्यार भरे रिश्ते के अहसास में, दो चार गोते मार ले इनकी समुद्र सी गहराई में....

पिता पर लिख पाऊं, ऐसे अल्फाज़ कहां से लाऊं"

कैसी मुश्किल है देखिए...बहुत समय से सोच रही थी कि पिता के लिए कुछ लिखूं लेकिन आज कलम लेकर बैठी हूं तो वो भी उनके सम्मान में झुकी हुई है, मानों मुझे याद दिला रही हो कि यही वो व्यक्ति है जिसने मुझे इसे पकड़ कर लिखना सिखाया है।।
समझ ही नहीं आ रहा की कहां से वो शब्द लाऊं जिनसे हमारी ज़िन्दगी में पिता की भूमिका को दर्शाया जा सके ।। बहुत मुश्किल है उन भावनाओं को शब्द देना जो एक पिता के दिल में उसके बच्चे के लिए होती है,

"पिता से ही बच्चो के ढ़ेर सारे सपने है 
 पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने है।।"

बहुत बार सुनी होंगी आपने ये खूबसूरत पंक्तियां..
लेकिन क्या असल ज़िन्दगी में हम इन पंक्तियों का महत्त्व समझ पाते है।। हम और आप ना जाने कितनी ही बार इस बात पर आपनी मोहर लगा देते है कि जितना एक बच्चे के लिए उसकी मां कर सकती है उतना कोई नहीं कर सकता लेकिन ये कहकर हम पिता कि हमारी ज़िन्दगी में जो अहम भूमिका है उसे अनदेखा नहीं कर सकते ।।
यकीन मानिए जो हर मोड़ पर हमारी उंगली थामकर खड़े होते है, जो अपने कंधे पर ज़िम्मेदारियों का बोझ चुपचाप उठा लेते है और बिना उफ्फ तक किए हमारे लिए वो सब करते है जिसमें हमारी खुशियां हो वो सिर्फ और सिर्फ पिता ही होते है।।बच्चे जो सपने देखते है उनमें रंग भरने का काम भी पिता ही करते है।।

पिता के लिए सब कुछ यहां लिख पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल है लेकिन चंद पंक्तियां है मेरे पास उनके लिए उम्मीद करती हूं आपको पसंद आएगी....

**क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है
एक पिता भी तो खुद को जलाकर बच्चो को रोशनी देता है।।
जब पैदा होता है बच्चा तो मिठाईयां तो वो भी बांटता है
उतनी ही ममता से वो भी उसे गले लगता है
जब रोता है बच्चा तो वो भी तो सारी रात सो नहीं पाता है
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
बच्चे की एक मुस्कुराहट पर वो भी तो अपना हर ग़म भूल जाता है
उसकी ख्वाहिश को पूरा करने में अपनी चाहतों को दाव पर लगाता है
जब चलना सीखता है बच्चा तो वो भी तो अपनी उंगली के सहारे से उसे कदम बढ़ाना सिखाता है
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
जब किसी मोड़ पर डगमगाते है बच्चे तो आगे का रास्ता भी वहीं दिखाता है
उनकी कामयाबी देख वो भी तो बच्चो कि तरह ताली बजाता है
बच्चो की खुशी की खातिर ही वो अपनी पूरी जिंदगी लगा देता है 
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
बस फ़र्क इतना है दोनों में की मां की ममता दिखाई दे जाती है..और पिता अपना प्यार दिखा नहीं पाता  है... शायद इसलिए एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।

 


3 टिप्‍पणियां:

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