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सोमवार, 7 दिसंबर 2020

वादा

 हैलो फ्रेंड्स ...कैसे है आप...आशा करती हूं आप सब इस महामारी के बीच सुरक्षित होंगे..
क्या लगता है आपको हम कब खुल कर सांस ले पाएंगे ? कब ये कह पाएंगे कि मास्क के बिना भी जीवन संभव है😀 ।।
वैसे कभी कभी ज़िन्दगी में वो मोड़ भी आते है जहां दम घुटने का कारण कोरोना नहीं होता, बल्कि हमारे कुछ "काश" और कुछ "पर" उसका मुख्य कारण होते है।।
कभी कभी चाहे अनचाहे किसी के लिए बहुत कर रहे होते है, और ये भी मान रहे होते है की किसी से उम्मीद नहीं करनी चाहिए लेकिन ....ये दिल ना किसी ना किसी कोने में वो उम्मीद वाली लौ जला ही लेता है जो जल तो रही होती है लेकिन साथ में जला भी रही होती है।।
हम चाहते है कि अगर हम किसी को अपना 100 पर्सेंट दे रहे है तो सामने वाला कम से कम 50 पर्सेंट तो दे।। लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि करना तो उसे वो है जो वो करना चाहता है, फिर एक पल ऐसा आता है जब हम अपनी एक पूरी सी कोशिश कर लेना चाहते है अपनी बात समझाने की, और उसकी समझने की....
आज कुछ लाइन्स पढ़ी जो इन परिस्थितियों पर बिल्कुल सटीक बैठती है:- चलिए देखते है...


तेरे साथ ठहरने के लिए तैयार हूं,
तू साथ चलने का वादा तो कर।
तुझे अपनी पलकों पर बैठाने के लिए तैयार हूं,
तू हर दफा मुझे देख कर मुस्कुराने का वादा तो कर।
तेरे लिए पूरी दुनिया से भी लड़ने को तैयार हूं,
तू मुझसे ना रूठने का वादा तो कर।
तेरे साथ हर सुबह की चाय पीने के लिए तैयार हूं,
तू हर शाम मुझे वक्त देने का वादा तो कर।
तुझपे हर खुशी कुर्बान करने के लिए तैयार हूं,
तू मेरे हर दर्द में साथ रहने का वादा तो कर।
तेरे साथ ज़िंदगी बिताने के लिए तैयार हूं,
तू साथ निभाने का वादा तो कर।


2 टिप्‍पणियां:

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