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मंगलवार, 5 जनवरी 2021

तलाश

 हैलो फ्रेंड्स...कैसे है आप सब।।
आशा करती हूं आप सब अच्छे है और नए साल में नए plans बना रहे होंगे।।
Happy New year to you all.

दरअसल plans तो मैनें भी बनाए पिछले साल खूब...
बहुत सारी ख्वाहिशें भी रखी दिल में..
सपने भी देखे बहुत सारे....
लेकिन फिर महसूस किया ..
कि ज़िन्दगी में कुछ तलाश ऐसी भी होती हैं जो कभी ख़तम नहीं होती... जितना हम अंदर जाने की कोशिश करते है.. उतना फंसते जाते है।।
यकीन मानिए ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा किसी दलदल में फंसने जैसा।।
पर आप लोगो कि तरह मैने भी पिछले साल से बहुत कुछ सीखा है...अब खुद की तलाश में हूं ...आगे बढ़ना चाहती हूं उन ख्वाहिशों को पीछे छोड़कर जिनकी बातों में आकर मैने हासिल तो कुछ नहीं किया लेकिन खुद को सताया बहुत है।।


नहीं नहीं... आप गलत समझ रहे है.. मैं सपने देखने या ख्वाहिशों के खिलाफ नहीं हूं...बस आपको आगाह करना चाहती हूं कि इन के साथ आपको आंखें बन्द करके नहीं चलना बल्कि पूरे होश में चलना होगा ताकि ये आपके उपर हावी ना हो पाए।।
और वैसे भी आप लोगो ने सुना होगा कि अगर मन चाहा मिल जाए तो अच्छा..और अगर ना मिले तो और भी अच्छा...क्योंकि उसके पीछे भी कुछ अच्छा ही छिपा होता है।।
तो चलिए मेरे साथ आज उन ख्वाहिशों को अलविदा कह ही दे जो हम पर हावी हो कर हमसे वो सब करवा लेती है..जो करने की हिम्मत जुटाने में हमें काफी समय लग जाता है..

तंग आ चुकी हूं इन्हें सिर पर बैठाकर,
बहुत बड़ी गलती हो गई इन्हें अपना बनाकर,
सोचती हूं धीरे से धक्का दे दूं,
सारी ख्वाहिशों को आज छत पर बुलाकर।।

ये भी पा लूं मैं, हासिल ये भी हो जाए मुझे,
लगातार कोशिश की ये करवाने की, मुझे बहला फुसलाकर,
सुकून छीन गया मेरा, रातों की नींद भी चली गई,
अब पूछे इनसे कोई की क्या हासिल कर लिया इन्होंने मुझसे ये सब करवाकर।।
बहुत मजबूर किया इन्होंने मुझे, की बस इन पर ध्यान दूं, अपना सब कुछ भुलाकर,
एक अनचाही दौड़ में शामिल हो जाऊं, अपना सब गंवाकर,
इन्हें कौन समझाए ये की जिनके पास कुछ नहीं होता,
कोई झांकता तक नहीं हैं उनकी चौखट पर आकर।।
हां, मैने सब किया इनकी बातों में आकर,
अब तलाश है खुद की, खुद ही अपनी पहचान मिटाकर,
आंसू छुपाने की कोशिश की है मैने, अपने आप को बारिश में भिगोकर,
लेकिन अब सोचती हूं, धीरे से धक्का दे दूं,
सारी ख्वाहिशों को आज छत पर बुलाकर ।।

3 टिप्‍पणियां:

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