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बुधवार, 5 मई 2021

आत्मग्लानि

हैलो दोस्तों...कैसे है आप?
उम्मीद करती हूं आप अपना और अपनो का ख्याल बखूबी रख रहे होगें...
दोस्तों, बहुत से लोग होते है जिनसे मिलकर आपको लगेगा कि वो बहुत ज्यादा जिद्दी है, या बहुत ज्यादा गुस्से वाले है... या कभी कभी हम उन्हे घमंडी भी समझ लेते है...लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हम कभी कभी लोगो को बहुत ज्यादा जल्दी जज कर लेते है... और ये मान लेते है की हमें उनसे कोई वास्ता नहीं रखना चाहिए।

लेकिन कई बार वो नहीं बल्कि उनके बारे में हम गलत होते है। दरअसल हमें सब को एक जैसा देखने की आदत हो गई है इसलिए हम उन अलग से लोगो को पचा नहीं पाते। क्योंकि वो लोग हमारी दिखावे की दुनिया का हिस्सा नहीं होते, झूठ से उन्हें नफरत होती है, धोखा से वो कोसों दूर होते है, और अपने फायदे के लिए उन्हें किसी को नीचा दिखाना नहीं आता... हां थोड़े सडू हो सकते है... गुस्सा भी नाक पर हो ये भी हो सकता है.. लेकिन दोस्तों मेरे हिसाब से ऐसे इंसान हमारे समाज के लिए ज्यादा अच्छे है...क्योंकि इन्हें अपने फायदे के लिए गिरगिट बनना नहीं आता.... लेकिन आज के इस दोगले समाज में इस प्रकार के लोग बहुत ज्यादा अकेलापन और पिछड़ा हुआ महसूस करते है।

क्योंकि आज कल के दिखावे से ये लोग कोसो दूर होते है और समाज में आज वही अपना पैर जमा लेता है जो दिखावे से भरा हुआ है। आज कल लोगो को सच सुनने की आदत नहीं रही लेकिन ये लोग तो सिर्फ और सिर्फ सच बोलते है। आज कल लोगो को अपनी निंदा सुनने की आदत नहीं रही, लेकिन ये लोग तो जो बोलना होता है वो मुंह पर बोल देते है।आज कल लोगो को झूठी तारीफों से बड़ा मोह है, लेकिन ये लोग ऐसा कर पाने में असमर्थ होते है। 

सबसे बड़ी परेशानी इनको यही होती है कि आजकल का समाज इनको स्वीकार नहीं पाता और न ये इस दिखावे वाले और दोगले समाज का हिस्सा बनना चाहते है। इसलिए कभी कभी ये लोग ऐसी स्थिति का सामना करते है जब ये अपने आपको दुनिया से बिल्कुल कटा हुआ महसूस करते है।  बाकी आप इन पंक्तियों से भी समझ सकते है जो किसी ऐसे ही इंसान पर लिखी गई हैं:-

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,
जब कभी सोचती हूं कि मैं पिछड़ गई हूं,
हर उस इंसान से जो दिखावा करता है,
मन दुखी हो जाता है, जब कभी मैं उस दिखावे का हिस्सा नहीं बन पाती,
लोगो की तरह बाहर कुछ और अंदर कुछ नहीं हो पाती।।

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,
जब कभी ये पाती हूं की अकेली रह गई हूं,
दूर हो गई हूं हर उस इंसान से जो धोखा करता है,
बहुत परेशान हो जाती हूं, जब किसी को धोखे मे नहीं रख पाती,
हां, जब लोगो की तरह किसी की पीठ में छुरा नही घोंप पाती।।

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,  
जब कभी सोचती हूं की मैं कितनी गरीब हो गई हूं,
लोगो को देखा है पैसे के लिए कुछ भी करते हुए,
मन उदास हो जाता है जब कभी मैं इस मुहिम का हिस्सा नहीं बन पाती,
हां, मैं पैसों के लिऐ किसी के तलवे नहीं चाट पाती।।

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,
जब कभी सोचती हूं की दुनिया से बहुत अलग रह गई हूं,
हर उस इंसान से अलग जो किसी को नीचा दिखाना चाहता है,
मन बैचेन हो जाता है, जब मैं किसी को नीचा नहीं दिखा पाती,
हां, दुनिया की इन उम्मीदों पर मैं खरा नहीं उतर पाती।।

हां बहुत जिद्दी हूं, हर किसी की हां में हां नहीं मिला पाती,
दिमाग़ है मेरे पास इसलिए किसी ओर के हिसाब से नहीं चल पाती,
मुझे गलत के लिए बोलना आता है,
इसलिए आखें बंद किए चैन से बैठ नहीं पाती।।

मेरे लिए वो हर इंसान गलत है जो गलत को बढ़ावा दे,
लेकिन मैं गलत के खिलाफ बोले बिना रह नहीं पाती,
इसलिए बहुत कम लोग है मेरी जिंदगी में जो पसंद करते है मुझे,
बाकियों के लिए तो बहुत बुरी हूं मैं क्योंकि झूठ, धोखा, दिखावा, फरेब मैं पचा नहीं पाती।।



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