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रविवार, 28 फ़रवरी 2021

तमन्नायें

हैलो फ्रेंड्स .... शुभ संध्या..आशा करती हूं आप सब लोग अच्छे होंगे...
दोस्तों आज कुछ नया तो नहीं लेकिन फिर से जिंदगी का एक पहलू पेश कर रही हूं..जो हम सब  से जुड़ा हुआ है...
हालांकि हमें भागमभाग में पता नहीं चलता लेकिन हम कभी न कभी कहीं न कही खुद को पिछे छोड़ कर, अपनी तमन्नाओं को पीछे छोड़ कर बहुत तेजी से भाग रहे होते है....लेकिन कभी अगर सोचने बैठे किसी फुरसत के लम्हों में तो पता चले की हमने अपनी सारी तमन्नाओं के साथ कितना बुरा किया होता है....
पहले हम उनको खुद ही पाल बैठते है...फिर वो चांद की सोलह कलाओं की तरह बढ़ने लगती है...और जब हम उन्हें पूरा नहीं कर पाते... तो वही हमें बोझ सी लगने लगी है...फिर कभी हंस के कभी रो कर हम उन्हे एक एक करके मिटा रहे होते है... हैरानी की बात तो ये है की कई बार तो हमें उनके लिए अफसोस करने का भी समय नहीं मिलता।।
तो आप सब से कहना चाहूंगी की इच्छाएं रखिए..लेकिन जब तक उन्हें पूरा न कर ले... तब तक हार मत मानिए... बहुत मेहनत करे ताकि आपको अपनी कोई भी तमन्ना बोझ न लगे...
तो चलिए फिर एक नज़र तमन्नाओं पर...

कुछ को मजबूरियों का हवाला देकर,
कुछ को नाजायज़ करार दिया जाएगा,
लिपट कर मुझसे बहुत रोई तमन्नाएं मेरी,
ख़बर थी उनको की अब दिल से निकाल दिया जाएगा।।

भुलाने की पुरजोर कोशिश की जाएगी,
या उन्हें डायरी के चंद पन्नों में छुपाया जायेगा,
बंद करके रखा जायेगा दिल के किसी कोने में,
या आंसुओं सा आखों से बहाया जाएगा।।

उस छोटी सी बिंदी सा माथे पर सजाया जाएगा,
या सब्जी के उन छिलकों सा कूड़े में फेंक दिया जाएगा,
हाल ज़रा कोई पूछ ले इस दिल का भी,
क्या ये उन सब के बगैर सुकून से रह पाएगा।।

ना चाहते हुए भी इन दोनों को आज दूर कर दिया जाएगा,
फिर इस लंबे सफ़र में ये दिल बेचारा अकेला रह जायेगा,
जो कभी वजूद की नींव हुआ करती थी..हां..आज एक एक करके उन सारी तमन्नाओं का अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा,
बहुत तकलीफ में थी आज, इसलिए शायद लिपट कर मुझसे बहुत रोई तमन्नाएं मेरी,
खबर थी उनको की अब दिल से निकाल दिया जाएगा।।

2 टिप्‍पणियां:

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