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शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

बेनाम उर्फ अजीज़ रिश्ते

हां, सच ही तो है..."कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते, 
                        "कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही                                  होते है।"
इन दो पंक्तियों में रिश्तों की पूरी व्याख्या कर दी गई है। और वाकई जिंदगी में हर पड़ाव एक सा नहीं होता और न ही स्थितियां एक सी होती है, हां लेकिन जिंदगी का हर पड़ाव हमारी ऊंगली पकड़ कर हमें किसी ऐसे रास्ते की तरफ़ मोड़ देता है, जहां से हमें सामने का रास्ता साफ देखने में आसानी हो जाती है। इन दो तरह के रिश्तों से हम बहुत कुछ सीख जाते है... गिरकर संभलना... रोक कर हंसना... हार कर जीतना...और बिखर कर सिमटना।।
ये दो तरह के रिश्ते हमें बहुत सारे अहसास एक साथ करवा देते है ...तो देखिए फिर की अक्सर क्या क्या करते है ये हमारे लिए:-
कुछ हमें देने के लिए अपना सब दांव पर लगा देते है,
कुछ हमारा भी लेने की फिराक में रहते है,
कुछ हमारी सफलता के गुब्बारे में रोज हवा भरते है,
कुछ उसी गुब्बारे में पिन चुभने की कोशिश में लगे रहते है,
जी जनाब, मेरा यकीन मानिए कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते,
और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।।
कुछ हमारे लिए चट्टान से खड़े होते है,
तो कुछ हम पर हथौड़ा चलाने के लिए तैयार रहते है,
कुछ की दुआओं में सिर्फ हमारा नाम होता है,
कुछ हमारी बर्बादी का कलमा रोज पढ़ते है,
यकीनन, कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते,
और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।।
तुम्हारे पास ज्यादा है मुझसे, ये शिकायतें वो तमाम करते है,
उनके सामने हम कुछ भी नहीं, इसका जिक्र भी वो सरेआम करते है,
गिर जाए उनके कदमों में किसी दिन, ये दुआ वो सुबह शाम करते है,
लेकिन कुछ है अपनो से भी अपने जो बिन बोले ही हमारा ख्याल रखते है,
यकीनन, कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते,
और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।।

उपर लिखी हर एक पंक्ति आपको आज के समय से रूबरू करवाएगी, पर दोस्तो जिंदगी बहुत छोटी है, मैं मानती हूं कि इसमें आपको दोनो तरह के लोग मिलेंगे और ऐसा भी हो सकता है "जो रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है" ऐसे लोग आपको ज्यादा मिले लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है, कि आपका "कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते" वाली कैटेगरी से भी विश्वास उठ जाए।।
बल्कि मैं तो कहूंगी की आप सिर्फ उन रिश्तों पर ध्यान दो जो आपकी सफलता के गुब्बारे में हवा भरते है... पिन चुभने वालों से आपको कुछ हासिल नहीं होगा...
रिश्तों को निभाने के भी कुछ नियम होते है..कुछ जरूरत होती है..कुछ कायदे होते है...
और यकीन मानिए अगर आपने इन सब को निभा लिया तो यकीनन आप दुनिया के सबसे खुशकिस्मत इंसान होंगे:-
1. रिश्तों में कुछ भी एकतरफा नहीं होता, दोनो तरफ़ से बराबर भावना होगी तभी अपनापन पनपेगा।
2. रिश्तों में कभी भी किसी को भी नीचा दिखाने की कोशिश मत करो। 
3. रिश्तों में कभी भी किसी की हैसियत देख कर अच्छे आचार व्यवहार की नियत मत रखो, बल्कि सभी का सम्मान करो।
4. रिश्तों में स्वार्थ भाव रखना बहुत ही गलत है।
5. रिश्तों में कभी भी गलत को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
6. रिश्तों में एक दूसरे के मुश्किल वक्त में साथ खड़ा होना चाहिए।
7. रिश्तों में कभी भी कोई भी फ़ैसला थोपना नहीं चाहिए.. हर स्थिति के लिए एक दूसरे से सलाह कर लेनी चाहिए।
8. रिश्तों में एक दूसरे को वक्त देना भूत ज़रूरी है।
9. रिश्तों में मिठास बढ़ने के लिए अगर आपको कुछ समझौते करने भी पड़ जाए तो पीछे न हटे।
10. और याद रखिए "सॉरी" और "थैंक्यू" जैसे शब्दों का इस्तेमाल आपको रिश्तों में रंग भरने का काम बहुत आसानी से कर सकते है।
तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही.. फिर मिलेंगे किसी अन्य विषय के साथ .. तब तक अपना और अपनो का ख्याल रखिए, हंसते रहिए और हंसाते रहिए।।

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

"वो शादी वाला बैग"

बैग... हां वही बैग जो मां ने शादी के समय ये कहते हुए मेरे ज़रूरी सामान से भर दिया था कि उस घर जाते ही तुम्हें इसकी जरूरत पड़ेगी....तेरा सारा ज़रूरी सामान इसमें रख दिया है।
उस वक्त लगा जैसे मां ने मेरी सारी दुनिया समेट कर उस बैग में रख दी हो, क्योंकि जब दूसरे घर जाऊंगी तो मां नहीं होगी वहां, यही सूटकेस होगा जो मां ने मेरी विदाई के वक्त मेरे साथ गाड़ी में रख दिया था।
बड़ा मुश्किल था उस सुहाने सपनों की दुनिया से इस हकीकत की दुनिया में आना। पर मां अक्सर कहा करती है कि "एक दिन हर लड़की को जाना होता है अपने घर" तो मैने भी हां में सिर हिला दिया। फिर तो बस समय जैसे पंख लगा कर उड़ गया था...
लेकिन जब दूसरे घर जाकर देखा तो उस सूटकेस में सिर्फ मेरी जरूरत का सामान था, मेरी जिंदगी तो वही उसी घर छूट गई थी। मैंने मां पर भरोसा कर लिया था कि उन्हें पता है कि मेरे लिए ज़रूरी क्या है, तो उन्होंने रख दिया होगा। लेकिन नहीं उसमे तो वो था ही नहीं जो मेरे लिए वाकई ज़रूरी था।
मेरी वो बचपन वाली शरारतें, वो खिलखिलाकर हंसना, वो पापा के साथ मस्ती, वो भाई बहनों को परेशान करना, वो "तोरी की सब्जी नहीं खानी" वाले नखरे, वो आलू के पराठें खाने की जिद, वो चोट लगने पर मां के सीने से चिपक जाना, वो मां के डांटने पर उनकी शिकायत पापा से करना, वो आइस क्रीम खाने की जिद , वो चांद को देखकर उसे पा लेने का जुनून, रात को मां से चिपक कर वो सुकून भरी नींद, नींद वो बुरा अपना देखने पर मां का वो पुचकार कर वापिस सुला देना, वो हर जन्मदिन पर मां का नए कपड़े लाकर देना, वो नारियल तेल की मालिश , वो बारिश में ना भीगने की हिदायत, वो सड़क पार करते हुए मां का मेरा हाथ कस के पकड़ लेना, वो दुकान पर रखा बड़ा सा टेडी बियर लेने की जिद करना.....और न जाने क्या क्या... सब तो वही छूट गया मां। वो हसीन यादें तो तुम मेरे इस सूटकेस में रखना ही भूल गई।
हालांकि इस बैग में वो सामान है ही नहीं जो मेरे लिए ज़रूरी हैं, लेकिन फिर भी ये बहुत भारी लगता है मां।
आज जब भी इसे लेकर तुमसे मिलने आती हूं ये तब भी भारी होता है...और जब तुमसे मिलकर वापिस आती हूं ये तब भी भारी होता है...इसके अंदर कुछ हो न हो मां, लेकिन तुमसे मिलकर वापिस आते वक्त जब मन भारी होता है, तो इस बैग का वजन दोगुना हो जाता है। कभी कभी ये बोझ मै उठा ही नहीं पाती।
मां मेरा सारा ज़रूरी सामान मुझे वापिस कर दो और बदले में ये बैग तुम भले ही वापिस ले लो। मेरे कंधे और दिल अभी भी बच्चों के से ही है मां, इस बैग को उठा पाना मेरी बस का हैं ही नहीं। मैं अभी भी तो तुम्हारी वही छोटी बच्ची हूं जिसके जिद करने पर भी दुकान से लाया भारी सामान तुम उठाने नहीं देती थी...
तो आज क्या हो गया... क्यों मुझे बड़ा बना देने की जिद करने लगी हो तुम ....
देखो मां मैं कह देती हूं...तुम मुझसे मेरा ज़रूरी सामान नहीं छिन सकती...
मेरा ज़रूरी सामान मेरे मां पापा है...और वो उस घर है.. हां मैं उन्हे सूटकेस में तो नहीं ला सकती.. लेकिन तुम्हे बताए बिना मै चुपके से इन्हें दिल में रख लाई हूं... माफ करना मां.. लेकिन यही मेरा ज़रूरी सामान है...



बुधवार, 21 अप्रैल 2021

कुछ अपनो के लिए

हैलो दोस्तों ...कैसे है आप....आशा करती हूं की आप सब लोग अपना और अपनो का ख्याल रख रहे होगें।।
जैसा कि हम सभी जानते है की पूरे देश में कोरोना काल चल रहा है, अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड नहीं है, शमशानो में लाशों की लंबी लाइन है, लोग अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे है।। जिस हवा में इंसान खुल कर सांस लेने की सोचता था ..आज वही हवा उसकी मौत का कारण बन गई है। आक्सीजन की कमी लोगो को मजबुर कर रही है की वो मछली की तरह तड़पते रहे।
लेकिन जरा दो मिनट के लिए सोचिए क्या इन सब परिस्थितियों का ज़िम्मेदार हमारे अलावा कोई और है?
नहीं जो भी स्थिति आज देश में व्याप्त है , आज जिस महामारी से देश जूझ रहा है उसके ज़िम्मेदार हम खुद है।। सोच कर देखिए क्या हम लोगो ने कभी अस्पताल की सुविधाओं की तरफ गौर किया, हमें तो जैसे अस्पतालों की कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई, हम तो सिर्फ धर्म के नाम पर एक दूसरे के दुश्मन बने बैठे है, कोई मंदिर के लिए लड़ रहा है तो कोई मस्जिद के लिए । इंसानियत के लिए तो हम कभी लड़े ही नहीं...तो देखिए फिर परिणाम हमारे सामने ही है, जिसने हम सब को घरों में कैद होने पर मजबूर कर दिया है।लेकिन अभी भी वक्त है ... गलतियों को सुधारने का ....अपने अपनो के लिए अपनी गलतियां सुधारनी चाहिए हमें...ताकि हमारी गलतियों का प्रभाव उन पर न पड़े।
तो चलिए फिर, सबसे पहले हम ये जान ले की इस महामारी के बीच भी हम खुद को और अपने अपनो को स्वस्थ कैसे रख सकते हैं:-
1. सकारात्मक रहिए: इन भयानक परिस्थितियों का सामना करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है की खुद को साकारात्मक रखिए। जब हम सकारात्मक सोचते है तो हमें सब अच्छा महसूस होता है....और हम बेहतर महसूस करते है...

2. परिस्थितियों को हावी न होने दे:- ये हम सभी जानते है की महामारी से पूरा देश जूझ रहा है....देश का हर तबका इसका प्रभाव झेल रहा है.. लेकिन हालात कैसे भी हो.. एक जैसा नहीं रहता.. इसलिए अपने आप को ज्यादा परेशान न करे, जितना ज्यादा हो से कोशिश कर शांत चित्त रहे ।

3. साफ सफाई का ख्याल रखे: इस महामारी में हमें हमारे घर की साफ सफाई के साथ साथ हमारे शरीर की साफ सफाई पर भी ध्यान देना होगा। जिससे हमारा किसी भी तरह  संक्रमण से बचाव सुनिश्चित हो सके।

4. रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन: हमें अपने रोजाना के आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ानी चाहिए जो हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक हो। विटामिन सी इसका सबसे बढ़िया उदाहरण हो सकता है। 

5. बाज़ार का खाना तथा डिब्बा बंद चीज़ों का त्याग करे: हमें हमारे स्वास्थ्य को मध्य नज़र रखते हुए बाजार का खाना तथा डिब्बा बंद चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए । इसे हमारे बीमार होने के चांस 46 प्रतिशत बढ़ जाते है।

6. तले हुए भोज्य पदार्थों का सेवन न करे: तले हुए भोज्य पदार्थों को बाहर कर अपनी दिनचर्या में फाइबरयुक्त भोज्य पदार्थों को शामिल करे। इसमें आप सलाद, सप्राउट्स, तथा हरी सब्जियां शामिल कर सकती है।

7. योग करे: जी हां, वो कहा गया है ना " की तन चंगा ते मन चंगा" तो इस जुमले को अपनाए तथा योग करे। ये न सिर्फ आपके तन को स्वस्थ्य बनाएगा बल्कि आप अंदर से भी बेहतर महसूस करेंगे।

8. सेनिटाइजेशन जरूरी: बाहर किसी भी वस्तु को छूने के बाद आपने हाथों को अच्छे से सेनिटाइज करे.. तथा ध्यान रखे की इस परिस्थितियों में आप अपने हाथों को आखों से, मुंह से दूर रखे।

9. सब्जी तथा फलों को भी धोकर कर इस्तेमाल करें: हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए की हम बाहर से लाई गई किसी भी वस्तु को धोकर या सेनिटाइज करके ही इस्तेमाल करे। तथा फलों और सब्जियों का विशेष ध्यान रखें।

10. अपनो के साथ वक्त बिताए: जी हां, आज जिस महामारी ने अपनो को अपनो से दूर कर दिया है... ऐसे में हमे चाहिए की हम ज्यादा से ज्यादा अपनो के साथ वक्त बिताए। यह हमें इस रोग से लड़ने की शक्ति देगा । हमें अंदर से भी तथा बाहर से भी मजबूती प्रदान करेगा।

तो दोस्तों आज के लिए इतना ही फिर मिलेंगे किसी ऐसे ही आपसे जुड़े विषय के साथ...तब तक आप लोग अपने घरों में रहे, सुरक्षित रहे। अपना और अपनो का ख्याल रखिए।।

बुधवार, 14 अप्रैल 2021

दुर्गा मां की सीख

 हर घर से वो मोहक सी कपूर की खुशबू आना..वो छोटे छोटे पैरों में पायल पहने लक्ष्मी सा घर में प्रवेश करना...वो छोटे छोटे हाटों से हलवा पूरी का भोग लगाना...आया कुछ समझ..?

जी हां हम बात कर रहे है नवरात्रि के पावन नौ दिनों की, कन्या पूजन की तथा वो दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों से उनकी कहानियों से सीखने को मिलता है.. उस अमृत की...

यूं तो दुर्गा मां वर्ष भर ही पूजनीय है.. लेकिन नवरात्रि के दौरान देवी पूजन तथा कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। माता के भक्तों के लिए ये नौ दिन कुछ अलग ही सुकून देने वाले होते है, भक्तों द्वारा पूरे नौ दिनों तक मां की पूजा अर्चना की जाती है। हमारे ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश द्वारा मां दुर्गा की उत्पत्ति हुई। अष्टभुजाओं में शस्त्र लिए तथा चेहरे पर मुस्कान लिए मां सिंह की सवारी करती है। कई राक्षसो का वध करने वाली मां दुर्गा ने मुश्किल समय में भी देवताओं की मदद कर अपने आपको आदिशक्ति साबित किया है।।

तो चलिए फिर हम भी इन नवरात्रि में जाने की आदिशक्ति के नौ रूपों से हमें क्या शिक्षा मिलती है:-

1. मुस्कान से मुश्किल हल:- जब भी हम मां देखते है तो सबसे पहले हमें आकर्षित करती है उनकी मोहक मुस्कान । जी हां उनकी मुस्कान हमें बताती है की जीवन में कितनी भी मुश्किलें हो लेकिन हमें मुस्कान का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। बल्कि प्यारी सी मुस्कान के साथ हमें मुकाबला करना चाहिए।

2. हर किरदार को महत्व देना:- हम सब अपने जीवन में बहुत सारे किरदार निभाते है.. कभी दादा दादी, नाना नानी, पति पत्नी, भाई बहन, मम्मी पापा, दोस्त। मां के नौ रूप हमें सिखाते है की समय आने पर हमें अपने हर किरदार को साबित करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

3. लक्ष्य के प्रति समर्पण:- मां द्वारा महिषासुर का वध तथा अन्य राक्षसों का संहार करना हमें सिखाता है को जीवन में लक्ष्यों का निर्धारण कितना महत्वपूर्ण है। लक्ष्य निर्धारित करने से आपको अपने किए गए कार्यों का विश्लेषण करना आसान हो जाता है।

4. निर्भयता: मां सिंह पर सवार होकर हमें यह सीख देती है की अगर हम सही कार्य कर रहे हैं तथा हमारा मकसद सेवाभाव का है तो हमें किसी से भी बिना डरे अपना कार्य करते रहना चाहिए। जीवन के रास्तों को हमें निर्भयता से पर करना चाहिए।

5. हर पल सीखने की कोशिश: मां दुर्गा के उत्त्पति तथा उनका आपने कार्य करना...देवताओं की मदद के लिए hr समय खड़े रहना.. तथा उनके ब्रह्मा, विष्णु, महेश द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना तथा हर पल उनसे सीखते रहना हमें सिखाता है की हमें अपने जीवन में हर पल सीखने की कोशिश करनी चाहिए। वो कहा है ना किसी ने की सीखने की कोई उम्र नहीं होती।।

तो दोस्तों आज के लिए सिर्फ इतना ही..फिर मिलते है किसी नए विषय के साथ.. तब तक आप ख्याल रखिए अपना और अपनो का...

जय माता दी।।


शनिवार, 10 अप्रैल 2021

रिश्ता बेटी और मां का..

 हैलो दोस्तों, कैसे है आप...आशा करती हूं की इस कोरोना काल में आप अपना और अपनो का ख्याल रख रहे होगें।।

दोस्तों जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर हमें ये अहसास हो ही जाता है की हमारे अपने, हमारे लिए कितनी जरूरी होते है...उनके बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं होता।।
और हमें हमारी पहचान करने वाली होती है हमारी मां....
वो कहते हैं ना की मां हर रिश्ता निभा सकती है..लेकिन मां वाला प्यारा रिश्ता कोई नहीं निभा सकता। उनकी जगह कोई ले ही नहीं सकता।।
तो आज मैं आप लोगो के लिए लाई हूं एक बेटी के कुछ एहसास जिसकी शादी हो गई है, और उसका घर भी बदल गया है...लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वो है उसका उसकी मां से रिश्ता...उनके बीच के अनकहे अल्फाज़...उनके बीच की वो गरमाइश जो कभी ठंडी नहीं पड़ सकती।।
तो आइए जुड़ जाए उन प्यारे एहसासों के साथ....

"वैसे तो हवा रोज ही चलती है लेकिन आज वो मेरी मां के घर की और से आ रही थी। महकती हुई सी वो बार बार मेरे बालों को ठीक वैसे ही सहला रही थी जैसे मां अपने हाथों से सहलाया करती थी। हर झोंके में उनका स्पर्श मुझे महसूस हो रहा था। कभी बहुत ज़ोर से और कभी धीरे से चल रही थी ठीक वैसे जैसे मां कभी गुस्से से और कभी प्यार से मुझे समझाती थी। हर एक झोंका खाली न आते हुए वो कढ़ाई में बनते पकौड़ों की खुशबू अपने साथ ला रहा था। बहुत सारी यादें लिए हर झोंके मुझे अपनी और खींच रहा था। इस हवा से बहुत पुराना सा रिश्ता है हमारा, शायद तब से जब मां मुझे सीने से लगाए लोरी सुनाकर सुलाया करती थी। वो धीरे धीरे मुझे थपथपाते हुए इस हवा के साथ साथ टहल रही होती है। और मैं भी सपनों की दुनिया में झांकते हुए नींद के आगोश में चली जाती थी। वो बचपन वाली नींद बहुत प्यारी और बेपरवाह होती थी और जब मां के सीने से चिपके होते थे तो लगता था मानो सारी दुनिया अपनी ही है। लेकिन जैसे जैसे बड़े होते गए समझ आने लगा की सारी दुनिया नही सिर्फ़ मां अपनी है। बहुत अच्छा लग रहा था सब कुछ बिल्कुल वैसा जैसा मां की गोदी में लगता था। लेकिन अचानक से ऐसा लगा जैसे मां की गोदी से किसी ने झटके से नीचे उतार दिया हो। ऐसा लगा जैसे किसी ने उस बेपरवाह सी नींद में आए हुए सपने को तोड़ दिया हो।इस बार झोंके ने जब आकर छुआ तो उसमे कुछ नमी सी थी, थोड़ा भीगा हुआ सा था वो। फिर मुझे भी एक पल नहीं लगा ये समझने में की इस हवा के झोंके ने मेरी मां को मेरी भी तो याद दिला दी होगी ना। जब उसे छुआ होगा तो उसे भी तो लगा होगा जैसें मैं बचपन की तरह दौड़ कर उसे लिपट गई हूं , मेरी शरारतें, मेरी अटखेलियां, वो सारी बातें, वो सारे पल याद आ गए होंगे जो हमने साथ बिताए है। आज मां से थोड़ी दूर हूं लेकिन हर पल, हर लम्हा उन्हें उन्हीं की तरह याद करती हूं।।
बस आज थोड़ा ज्यादा कर रही हूं, इन शादी की रस्मों ने मुझे उनसे दूर कर दिया हो, लेकिन वो हमारे रिश्ते में दूरियां कभी नहीं ला सकती। हम एक दूसरे से उन्हीं करीब रहेंगे। ऐसे ही एक दूसरे को महसूस भी करते रहेंगे, कभी हवा से, कभी बारिश से और कभी जून की तेज तपिश से, और कभी एक दूसरे को कस के गले लगा के।।
वो कहते है ना....
 " मां है तो जन्नत है अपने पास,
और मां नहीं तो जन्नत भी बेकार है अपने पास।।"

मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

सेंधा नमक

नमस्कार दोस्तों, कैसे है आप...
दोस्तों मैं कोशिश करती हूं की हमेशा आपके लिए कुछ जिंदगी से जुड़ा हुआ लाऊं...
लेकिन आजकल के भागमभाग ने इंसान को बहुत सारी बीमारियों का शिकार बना दिया है...जिसकी वजह से वो हर समय तनाव महसूस करने लगा है..
तो चलिए आज स्वास्थ्य से जुड़ी बातें कर लेते है...
बस थोड़ा सा नमक , थोड़े बदलते रिश्ते
काफी है मेरे घाव को गहरा करने के लिए ।।
पहले जो मक्खन लगाते है,
फिर वही नमक  छिड़कते है।।
जी हां इस तरह के जुमले बहुत सुने होंगे आपने और इनसे आप समझ गए होगे की "नमक" हम सब की जिंदगी में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।। वो नमक ही है जो हमें ये अहसास करवाता है की जिंदगी में हर चीज के लिए संतुलन कितना ज़रूरी है, जब कभी सब्जी में नमक तेज हो जाए तो हमारी जीभ साफ साफ इंकार कर देती है उसे स्वीकारने से, और जो कभी वो कम हो जाए तो खाना एक दम बेस्वाद हो जाता है फिर हमारा नटखट मन उसे खाने से मना कर देता है।।
दोस्तों, वैसे तो हम सब ही रोज नमक का अपने घरों में इस्तेमाल करते है..लेकिन हम में से बहुत सारे लोग " सामान्य नमक" की जगह " सेंधा नमक" का प्रयोग करते है जो न सिर्फ स्वाद में बेहतर होता है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत लाभदायक होता है। हालांकि सेंधा नमक भी नमक की ही एक किस्म है लेकिन इसके उपयोग के अनेक फायदे है :
तो आइए जानते है " सेंधा नमक" के बारे में और इसके फायदों के बारे में...
सेंधा नमक एक प्राकृतिक नमक है यह खारे तालाबों से निकाला जाता है, हालांकि यह उस समय ठोस पत्थर जैसे आकर में होता है। इसे तोड़ कर छोटा किया जाता है था फिर इसको पाउडर में परिवर्तित किया जाता है। यह हल्का लाल या हल्के काले रंग का हो सकता है तथा इसका जो रंग है वह इसमें मौजूद ऑक्साइड की वजह से होता है ।।
सेंधा नमक के फायदे :-
1. ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए रामबाण: यह बी.पी के मरीजों के लिए बहुत
लाभदायक है , क्योंकि यह खून के बहाव पर नियंत्रण रखता है.. तथा उसकी गति को उच्च या निम्न होने से बचाता है।।
2. तनाव कम करने में लाभ दायक: आज कल की भाग दौड़ वाली जिंदगी में हर तीसरा इंसान तनाव से जूझ रहा है, ऐसे में ये नमक उनको तनाव से राहत दिलाने वाला साबित हो सकता है।
3. जोड़ो के दर्द में राहत दिलाता है: आजकल जोड़ो के दर्द की समस्या आम हो गई है...इसकी वजह से लोगो को असहनीय दर्द झेलना पड़ता है और कभी कभी ये बहुत घातक हो सकता है...इसलिए जोड़ो के दर्द में राहत के लिए कई बार सेंधा नमक खाने की सलाह दी जाती है।
4.शरीर को ठंडा रखता है: सेंधा नमक की तासीर ठंडी होती है..जिसकी वजह से यह हमारे शरीर का तापमान संतुलित करके हमारे शरीर को ठंडा रखता है।।
5. वजन घटाने मे सहायक: जी हां,सेंधा नमक हमारे शरीर की बढ़ी हुई चर्बी को कम करने में हमें भरपूर सहयोग दे सकता है अगर हम नियमित इसका प्रयोग करे।
6. वस्तु दोष दूर करे: सेंधा नमक हमारे घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
इसे पोछा लगात समय पानी में दो चुटकी मिलाए तथा उससे पोछा लगाए...यह घर के वस्तु दोष भी दूर करता है।
7. नींद के चक्र को नियमित करता है: सेंधा नमक हमारे निंद्रा चक्र को भी नियमित करता है, जिससे हमारा शरीर चुस्त बना रहता है तथा हम ऊर्जावान महसूस करते है।।
तो ये थे दोस्तो, सेंधा नमक के फायदे ...आशा करती हूं आपको ये लेख पसंद आया होगा।
तो अगले लेख में फिर मिलेंगे किसी और विषय के साथ... तब तक आप सब से इजाज़त लेती हूं।।
अपना ख्याल रखिएगा...खुदा हाफ़िज़

हैप्पी बर्थडे पापा

  पापा मेरी मां के अलावा वो पहले इंसान है, जिसने मुझे हमेशा महसूस कराया कि मैं कितनी ख़ास हूं । आपने मुझे हमेशा ऐसे रखा है, जैसे मैं कोई रा...