यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

अजन्मी संतान

 हैलो फ्रेंड्स..... पोस्ट पढ़ लो.... 

....an unborn baby girl wants to say something to u.....


बेबस हूं, लाचार हूं

मैं वो अजन्मी संतान हूं

माँ की कोख़ में जब आई थी

खुशियां ढेरो लाई थी।

ज ब पता चला घर वालो को

कोख में लड़की आई है,

लिंग परीक्षण से क्योंकि 

जांच उन्होंने करवाई है।

सहम गई थी माँ सुनकर

जब कानों में उसके 

मुझें गिराने की बात आई थी।

वो कुछ न बोल सकी थी तब

बस दिल मे लिए बैठी थी दर्द

मैं भी  चाहती थी,

पहचान बनाना चाहती थी,

माँ बाप के नाम को मैं भी 

रोशन करना चाहती थी

पर बेबस, लाचार थी मैं

अपने हक को न लड़ सकती थी

माँ भी मेरी डरी बैठी थी

वो भी कुछ न कर सकती थी।

हाँ चाहती तो बचा सकती थी मुझकों

पर अपने भविष्य के कारण 

उसने मेरी बली चढ़ाई थी,

चाहती थी वो अपना जीवन 

और दाव पर मेरी ज़िंदगी लगाई थी।

न जाने क्या गलती थी मेरी

जो दादी दादा भी न चाहते थे

क्यों मुझ अजन्मी संतान को

वो गिराना चाहते थे!

न पसंद थी मैं उनको 

शायद इसलिए कि मैं लड़की थी 

बस येही मेरी गलती थी

चाहते थे वो पोता 

पर माँ की कोख में "पोती"

उनकी आई थी

वो अब भी पिछड़ी सोच को लेकर

जी रहे है आज में

सोचते है लड़की को बोझ 

और करा देते गर्भपात है

शायद इसी सोच की

बली चडूंगी मैं भी,

गर्भ में मारी जाऊंगी

और ऐसे ही बेबस- लाचार रह जाऊंगी।


उस दिन सुन रही थी मैं बातें सारी

माँ पर तंज कस रही थी दादी

पापा भी चुप चाप खड़े थे

आँखे उनकी भी नम थी

कोस रहे थे शायद वो भी

समाज की नीति माँ की भांति,

दादी के जाने के बाद 

मुँह से बोल फूटे उनके भी

बोले माँ से वो भी ऐसा 

मैं भी सोच में पड़ी सुनते ही

"न कर बेटी को पैदा

वो न सुरक्षित रह पाएंगी,

इस समाज के गुंडों की

गंदी नज़रो की भेंट चढ़ जाएगी,

मैं भी चाहता हूं बिटियां को 

पर जब देखता हूं नज़र घुमा कर

डर से सहम जाता हूं मैं भी

बोझ नहीं है बेटी मुझपर

फिर भी मैं कतराता हूं"

शायद ये भी वजह रही थी

डरे सहमें बैठें थे पापा भी

कि किसी दिन भेंट न चढ़ जाए उनकी बिटिया

नज़रों में वो आना जाएं 

येही सोच कर वो भी चाहते थे

उनकी बेटी अजन्मी रह जाये।

लाचारी बेबसी से घिरी मैं 

चाहती थी दुनियां में आना

पर इस दुनिया की भद्दी सोच के कारण

मैं अजन्मी ही रह जाऊंगी 

और शायद माँ की कोख में ही 

मार दी जाऊंगी।

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

class room

  हैलो फ्रेंड्स ....(पोस्ट पढ़ लो)🙂🙂


शाम को जब रोटी खाने बैठो तो एक ख्याल हमेशा आता है मेरे मन में ...की देखो तो ज़रा ये गोल गोल छोटी छोटी रोटियां कैसे मुझे पूरा दिन नचाती है ।।


जी हां.. पहले यही एक वजह थी इंसान के पास जिसके लिए वो दिन रात मेहनत करता था लेकिन आज की इस दिखावटी दुनिया ने चंद सुकून के पलों को भी छीन लिया है ।। आज कल हर इंसान चाहे ना चाहे इस दिखावटी दुनिया का हिस्सा बन ही जाता है ।

रोटी ,कपड़ा, मकान जैसी बुनियादी ज़रूरत के आगे भी उसने एक ख्वाहिशों कि दुनिया बसा ली है ।। यही ख्वाहिशें आज उसे ऑक्सीजन से भी ज्यादा ज़रूरी लगती है....इसके लिए वो लाख समझौते करने को भी तैयार है।। इन ख्वाहिशों कि जंजीरों में खुद को जकड़ा हुए पाकर बहुत बार महसूस होता है... की

      कितना कुछ छूटता चला गया...

      बहुत कुछ समेटने के चक्कर में ।।

चांद को छूने की चाह में अपने अपनों और उन दोस्तों को भी पीछे छोड़ दिया ..जो हमारे जीने कि वजह हुआ करते थे....लेकिन दिन भर की भागमभाग के बाद जब काली रातें काटने को हमारी तरफ दौड़ती है ...तो चंद पंक्तियां याद आती है...जो पहले अगर समझ आ जाती तो ज़िन्दगी आज कुछ और होती...

एक दिन ज़िन्दगी ऐसे मुकाम पर पहुंच जाएगी..                                     

दोस्ती तो सिर्फ यादों में ही रह जाएगी...

हर कप कॉफ़ी याद दोस्ताना की दिलाएगी और 

हंसते हंसते आंखे नम हो जाएगी...

ऑफिस के चैंबर में classroom नज़र आएगी, पर चाहने पर भी क्लास ना लग पाएगी,

पैसा तो बहुत होगा मगर उन्हें लौटने की वजह खो जाएगी                                    

जी ले खुल के इन पलकों में मेरे दोस्त क्योंकि,                                    

ज़िन्दगी इस प्लान को फिर से नहीं दोहराएगी ।।

सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

बहुत कम मिला हैं

 हैलो फ्रेंड्स..... पोस्ट पढ़ लो 🤔🤔
आज आपके लिए कुछ बहुत intersting हैं मेरे पास....
दोस्तो, आप लोगों को रोजमर्रा की ज़िन्दगी में ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जो ये कहेंगे की, उन्हें बहुत कम मिला हैं,
भगवान ने उन्हें दूसरों से कम दिया हैं... हालांकि वो कुछ पाने के लिए अपने पर्सनल हाथ पैरों को बिल्कुल भी कष्ट नहीं देते, actually they think that they deserves a lot but they have nothing by God grace.
लेकिन उनके लिए मैं बस इतना कहूंगी
 " की रुके हुए हो किसके लिए बीच सफ़र में यूं,
तुम भी किस उलझन में पड़ कर रह गए,
एक बार कोशिश तो करो,
सुना है मैंने जिन्होंने रास्ते बनाए खुद वो दूसरों के लिए मिसाल बन गए ।।
लेकिन जिन लोगों को कम शब्दों में समझ नहीं आता उनके लिए भी कुछ है मेरे पास... ज़रा गौर फरमाएं:-
सबको गिला है कि बहुत कम मिला हैं,
ज़रा सोचिए जनाब, जितना आपको मिला है,
उसके लिए आपने क्या किया हैं ?
कुछ हट के खाने का मन किया कभी, तो आपने मां को उसका ऑर्डर दिया हैं,
अगर हो जाए गलती से कुछ नमक कम, तो फ़िर शिकायत है कि,
खाना आपको बेस्वाद मिला हैं।।
जब से अहसान फरामोशी का ये दौर चला है,
हर बन्दे को इसके लिए अपने से भी बढ़कर उस्ताद मिला हैं, ज़रा सोचिए जनाब,
जब आपने किसी का फ़ायदा उठाना चाहा, तो बदले में आपको भी वही मिला हैं।।
किसी से ज्यादा लेकर आपने उसे कितना थोड़ा दिया हैं,
उसके भरोसे का आपने पूरा फ़ायदा लिया हैं,
अब ये जो बेचैनी का तोहफा आपको मिला हैं,
तो ये शिकायतें क्यों की आपको नींद की बजाए अंधेरे से भरा आसमान मिला हैं।।
चालाकियां कर के आज आप ख़ुश हैं कि आपने जो सोचा आपको उससे ज्यादा मिला हैं,
लेकिन उस पल का इंतज़ार भी तो करो जनाब,
जब आपको ये एहसास होगा कि क्या बोया मैने जो मुझे ये मिला हैं ?
ज़िन्दगी के गणित में आपने जो 2+2 को 5 किया हैं,
ये आपने दूसरों को नहीं बल्कि ख़ुद को धोखे में रख दिया हैं,
लेकिन आप भूल गए जनाब, की ये ज़िन्दगी का गणित है यहां 2+2 को 5 बनाने वाले ने किसी ना किसी मोड़ पर अपना सब खो दिया है ।।
पागल नहीं है वो जिसने अपना सोचे बिना दूसरों को अपने से आगे रखा है,
क्या मिलेगा ये ना सोचकर , सिर्फ क्या दिया मैंने ये सोचा है,
इन शिकायतों के दौर का हिस्सा बनना बन्द कीजिए जनाब,
क्योंकि ज़िन्दगी को सबसे बेहतर उसी ने जिया है जिसने किसी से 1 लेकर उसे अपना 100 दिया है।।
तो अब ये ना कीजिए कि आपको बहुत कम मिला हैं,
लोग ऐसे भी है ज़माने में , जिनको लगता हैं की भगवान ने आपको सब दिया हैं।।




रविवार, 25 अक्टूबर 2020

Rakhi

  आज के समय  मे " रक्षाबंधन " पर  एक बहन का हाल ....


देखो  ना भाई  "राखी " आयी हैं ..

हमारे बचपन  की याद  साथ  लायी  हैं 

ना जाने दुनिया  ने ये कैसी  रीत  बनायी  हैं 

तुम तो भूल ही गये  मुझे  जब  से भाभी घर आयी हैं ...


माँ कहती  हैं की सब भूल कर  चली  आऊ ...राखी  की घडी  आयी हैं ..

पर  दिल कहता  हैं क्यू  जाऊ  उस भाई के पास...जिसने चरित्र पर  मेरे ऊंगली उठायी  हैं ...


पापा देखो ना आपकी Princess की आज आंखे  भर आयी  हैं ...

भाई ने हमारे रिश्ते  की डोर भाभी को थमाई हैं .....


डाटो ना पापा उसे  ....कहो  ना उसे की वो मेरा भाई हैं ...

भूल जाऊंगी मै  सब  ...की  उसने  मुझे कितनी चोट पहुचाई हैं 


माँ कह  दो भाई से ....की भले  ही राखी  की घडी आयी हैं ....

पर  राखी उस चोट से बड़ी  नहीं  ...जो  उसने  मुझे  पहुचाई हैं ....

यादो  मे रहेगा  वो हमेशा  मेरी पर ...माँ अब मै  लौट  ना पाऊंगी ....

क्यूकी  ज़िन्दगी  मुझे उस मोड  पर  ले आयी हैं ....


शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

झूठा सच

 ज़िन्दगी में हर झूठ इतना भी सच नहीं लगना चाहिए कि कोई बिना वजह है मारा जाए....
आप इस बारे में क्या सोचते है,

दरअसल, "it doesn't matter" की आपके झूठ से किसी के सपने बिखर सकते है...कोई  अपने मुस्कुराने कि वजह खो सकता है...कोई अपने रंग भरे सपनों से नफरत कर सकता है...या कोई अपने जीने कि वजह भूल सकता है ।।
Yes it doesn't matter.... कुछ लोगो के लिए ये चीजें it doesn't matter ही तो है ।।

आज फिर किसी को कहते सुना मैने ...(जी हम बहू लेने नहीं बेटी लेने आए है)...अपनी बेटी की तरह रखेंगे इसे... कभी आपकी कमी महसूस नहीं होने देंगे....जैसे आपके घर में रहती है...उससे भी अच्छी तरह रखेंगे.....😠😠
लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा असल में होता है?
अगर इस सवाल का जवाब आप " हां" में देते है तो फिर हाल ही में जो खबरें सुनी उनके बारे में आप क्या कहेंगे ?
हाल ही में एक ख़बर सुनने में आईं कि पानीपत में एक प्रोफेसर में अपनी बेटी की शादी की। शादी के वक्त पिता ने 50 लाख रूपये दहेज़ के तौर पर दिए।
कुछ ही दिनों बाद शादी ससुराल वाले बेटी को तंग करने लगे, वजह थी दहेज़ कम मिला है।
लड़की ने बताया कि शादी के केवल एक महीने बाद ही उसका चेकअप करवाया और उस पर बांझ होने का आरोप लगाया। इससे भी कुछ नहीं हुआ तो उन लोगो ने उसपर चरित्रहीन होने का आरोप लगाया। शादी के एक साल बाद एक नन्ही परी का जन्म हुआ तो ससुराल वालो ने ताने देने शुरू कर दिए कि हमें बेटा चाहिए को हमारा वंश आगे बढ़ाएगा। 
इसी के बीच ससुराल वालों ने जबरन उसे मायके भेज दिया। उसके बाद सुलह के नाम पर 15 लाख की कार की मांग की, ऐसे में प्रोफ़ेसर ने कार देने में मुश्किल जताई तो उन्होंने बदतमीजी की।
पीड़ित लड़की का कहना है कि बच्चे के जन्म के बाद जुल्म इतने बढ़ गए थे कि ससुराल वालो ने मिल कर उसे मारा, यहां तक पति के पैर भी चटवाए।
अब आप बताएं कि ससुराल वाले क्या अपनी बेटी के साथ ऐसा कुछ कर सकते है।
उस बेटी के पिता के कितने अरमान होंगे, कितनी तैयारी की होगी, 1000 बार आशीर्वाद दिया होगा, सदा खुश रहने का। लेकिन ससुराल वालो ने तो उससे खुश रहने की वजह हो छिन ली।

फिर इन सब को सुनकर और सोच कर दिल यही कहता है, की ऐसे सपने मत दिखाओ जिनको एक एक करके आप ही हर रोज तोड़ोगे...

आज तुम कहते हो बेटी बना कर रखेंगे...लेकिन कल जब खाना बनाते वक़्त उस बेटी के सिर से पल्लू नीचे सरकेगा..तब तुम उसे ये कहने से नहीं रहोगे..की तेरी मां ने कुछ सिखाया था या नहीं...

कभी जब ज़ल्दबाज़ी में खाना बनाते वक़्त उसका हाथ जलेगा तब तुम उसकी मां की कमी पूरी नहीं कर पाओगे... उसे ये कहकर की ध्यान रखा करो ..गले से कोई नी लगाएगा...

जब तुम्हारे घर में वो कुछ भी अपने मन का नहीं कर पाएगी...हर वक़्त अपने आपको बदिशो में जकड़ा पाएगी ...तो वो अपने घर की तरह कैसे रह पाएगी...
प्लीज़ कम से कम जब किसी की ज़िन्दगी का फ़ैसला आपके हाथों में हो तब तो original रहो...
उस इंसान को ये मौका मत दो की कुछ दिन बाद वो ये महसूस करे कि तुम पर यकीन करना उसकी ज़िन्दगी का सबसे गलत फ़ैसला था ।।

ऐसे में लड़की को चाहिए कि थोड़ी जागरूक रहे , अपने अधिकारों के बारे में जाने, किसी भी जुल्म को बर्दाश्त न करे।
इसके लिए आज कल कानून ने बहुत सारे अधिकारों और कानूनी मदद को बेटी के सहारे के लिए निर्मित किया हैं।
आएं जानते है की वो कौनसे अधिकार है जो सविधान में वर्णित है तथा प्रत्येक महिला को दिए गए है। जिसे वो न केवल घर में बल्कि बाहर भी इस्तेमाल कर सकती है तथा जुल्म से अपने आप को बचा सकती है:

1. 

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

ख़त

  हैलो फ्रेंड्स .....(पोस्ट पढ़ लो)...🤗🤗

आज सुबह एक आर्टिकल पढ़ा और उसे पढ़कर एक बार फिर ये एहसास हुआ कि हमारी ज़िन्दगी में बहुत सारी चीज़ें ऐसी होती है जो हमारे पापा मम्मी , हमारे पड़ोसी हमें चाह कर भी नहीं सीखा पाते...
लेकिन उन्ही चीज़ों को कोई अगर अप्रत्यक्ष रूप से सीखा सकता है वो होता है शिक्षक ।।
जी हां, एक बच्चे के जीवन में शिक्षक का क्या महत्व होता है ये आप और मैं भली प्रकार जानते है। एक बच्चे के जीवन में शिक्षक की क्या भूमिका  है....इसे मैं इस आर्टिकल के माध्यम से समझना चाहूंगी।।
Article:- "अब्राहम लिंकन का पत्र अपने पुत्र के शिक्षक के नाम"

हे शिक्षक मैं जानता हूं और मानता हूं 
कि न तो हर व्यक्ति सही होता है और ना ही होता है सच्चा,
किंतु तुम्हें उसे सिखाना होगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा ।।
समय भले ही लग जाए, पर
यदि सीखा सको तो उसे सिखाना
की पाए हुए पांच से अधिक मूल्यवान है
स्वयं एक कमाना।।
पाई हुई हार को कैसे झेले, उसे यह भी सिखाना
और साथ ही सिखाना, जीत की खुशी मनाना ।
उसे सिखाना कि सबकी बातें सुनते हुए अपने मन की भी सुन सके,
यदि सिखा सकते हो तो सिखाना कि दुःख में भी मुस्कुरा सके,
घनी वेदना से आहत हो, पर खुशी के गीत गा सके ।।
उसे यह भी सिखाना आंसू बहते हो तो उन्हें बहने दे,
इसमें कोई शर्म नहीं...कोई कुछ भी कहता हो ... कहने दे ।
उसे साहस देना ताकि वक़्त पड़ने पर अधीर बने,
सहनशील बनाना ताकि वह वीर बन सके।
उसे सिखाना की वह स्वयं पर असीम विश्वास करे,
ताकि समस्त मानव जाति पर भरोसा व आस धरे।
यह एक बड़ा लंबा सा अनुरोध है,
पर तुम कर सकते हो, क्या इसका तुम्हे बोध है?
मेरे और तुम्हारे...दोनों के साथ उसका रिश्ता है;
सच मानो मेरा बेटा एक प्यारा सा नन्हा फरिश्ता है।।

सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

इल्ज़ाम

दोस्तो, कभी कभी ये देख कर बहुत अफसोस होता है कि दुनिया इतनी double standard हो गई है कि उसे अपने मतलब के आगे कुछ दिखाई नहीं देता।।

आपने कुछ किया और वो दुनिया के मतलब का हैं तो आप उनके लिए hero, और अगर वो उनके मतलब का नहीं है तो आप उनके लिए zero.

कभी कभी ये भी होता है कि उन्हें आपका आगे बढ़ना हज़म नहीं होता फिर वो दूसरों के आगे आपकी बुराइयों की उल्टियां करने लगते है...

 अगर आप किसी से दो कदम आगे हो तो वो आपको नीचे गिरा कर आपके कंधे पर पैर रख कर आगे बढ़ना पसंद करते है बजाए इसके की वो fair तरीके से आगे बढ़े। और फिर वो दौर शुरू होता है कि इस गिरने गिराने की कशमकश में इंसान इतना गिर जाता है कि अपनी छोटी सोच के कुएं से कभी बाहर नहीं आ पाता ।।
और उसकी सोच का दायरा कहा तक सिमट जाता है और उससे लोग किस तरह बचना चाहते है वो मै आपको इस कविता के माध्यम से दिखाना चाहूंगी।।

लेकिन इससे पहले मैं आपको ये ज़रूर कहना चाहूंगी कि आगे बढ़ना अच्छा है, हर इंसान की चाहत होती है कि वो सफलता हासिल करे, उसकी मेहनत का उसे भरपूर फ़ल मिले, लेकिन दोस्तों हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम उस सफलता को अपने दम पर हासिल करे न कि किसी को नीचा दिखा कर।

दरअसल, किसी को धोखा देकर हम कुछ पल के लिए खुश हो सकते है, लेकिन कही न कही के छोटा सा दिल जनता है कि हमने किसी के साथ गलत किया है और फिर ये छोटा सा दिल उस बोझ के तले दबता जाता है, हर पल , हर घड़ी।
दिल तो आपका है न किसी और का थोड़े ही है तो फिर क्यों इसे खुद ही इतना परेशान करना।
हमेशा ध्यान रखें सफलता से बड़ी पूंजी सुकून है, जो किसी को खुश करके प्राप्त हो, किसी को दुखी या परेशान कर के नहीं, 
कोशिश कीजिएगा की कभी आपसे कोई ऐसी बात न कहे जो इन पंक्तियों में शामिल है:
 
जीने भी दे दुनिया हमें , अब यूं तो ना सता,
चंद सांसें ही तो ली है हमने रोज़, तू यूं हम पर ज़िन्दगी जीने का इल्ज़ाम ना लगा।।
चंद ख्वाहिशें मेरी पूरी हो जाए , तो तुझे ऐतराज़ क्यों है,
टूटे सपनों के टुकड़े ही तो जोड़ते है रोज़,
तू यूं हम पर सपने बुनने का इल्ज़ाम ना लगा।।
इस मायूस सी ज़िन्दगी में रंग भरना चाहे अगर, 
तो कम से कम यूं मुंह तो ना फुला,
उन रंगों का कतरा कतरा सिर्फ मेरा है,
तू यूं हम पर रंग चुराने का इल्ज़ाम ना लगा।।
कुछ पल अगर खुद के लिए जी ले , तो ये गुनाह क्यों है,
ये मुस्कुराहटें मेरी, इनकी वजह भी मै हूं,
तू यूं किसी की वजह से मुस्कुराने का इल्ज़ाम ना लगा।।
कुछ कर दिखाने का जुनून है अगर , तो तुझे कोई मसला क्यों है,
कुछ बेचैनियां है जो रातों को सोने नहीं देती,
पर तू किसी की याद में जगने का इल्ज़ाम ना लगा।।
ज़िन्दगी मेरी है , मुझे अपने हिसाब से जीने दे,
राहों में मेरी यूं रोड़ा ना लगा,
जहां हूं मैं आज , सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर हूं,
किसी के तलवे चाटने का तू मुझे पर इल्ज़ाम ना लगा।।

रविवार, 18 अक्टूबर 2020

मां

खुश चेहरों के पीछे गमों को पहचान लेती है, 
वह मां ही है जो बिन बताए दिल का हाल जान लेती है।।
जी हां, आज हम जिस शख्सियत की बात कर रहे है वो दुनिया के लिए भगवान का एक वरदान है ।।
मैने सुना है कि भगवान हर पल हर जगह नहीं हो सकते थे इसलिए उन्होंने " मां" को बनाया ।
जी हां, वो मां ही है जिसको इस दुनिया में भगवान के बाद सबसे ऊंचा दर्जा मिला है।। चलिए आज जब मां के बारे में बात हो ही रही है तो मैं भी ज़रूर बताना चाहूंगी कि मेरे लिए मां क्या है, जानती हूं सब कुछ तो नहीं लिख पाऊंगी क्योंकि इस अहसास को शब्दों में कह पाना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है ।। लेकिन कोशिश ज़रूर करूंगी:-
कोई कहता है अच्छे से जाना...कोई कहता है खाना टाइम पर खाना, एक मां ही है मेरी जो कहती है कि बेटा जल्दी से घर आ जाना ।।
मां लोग कहते है कि " शादी हो गई है तेरी" अब हर समय मां के पलू से बंधे मत रहो... लेकिन मैं उन्हें कैसे समझाऊं की मेरी अलार्म की घंटी में भी मुझे तुम्हारी ही आवाज़ सुनाई देती है जब कभी ऑफिस
 के काम में खाना खाना भूल जाती हूं...तो ना जाने कहां से तुम्हारी याद आकर मुझे टाइम पर खाने कि हिदायत दे जाती है ।।
शाम को जब घर वापिस आने का टाइम होता है तब याद आता है ....कैसे तुम दरवाज़े पर खड़ी होकर मेरा इंतज़ार किया करती थी।।
शाम को जब मैं दिन भर की थकान से चूर होती हूं तो भी भगवान से तुम्हारी सलामती की दुआ करना नहीं भूलती।
कैसे समझाऊं लोगो को की मुझे तुम्हे महसूस करने के लिए तुम्हारे पास होने की ज़रूरत नहीं है मां,
तुम मेरे लिए हर जगह हो मेरे आस पास, मेरे दिल के बहुत पास, जब भी आंखें बन्द करु तो तुम सामने होती हो ये कहने के लिए की टैंशन मत ले.. मस्त रहा कर... अभी तेरी मां ज़िंदा है टैंशन लेने के लिए...तू बस मौज़ ले।
इसके आगे शायद अब कुछ कह नहीं पाऊंगी... थैंक्यू मां हर मोड़ पर मेरा साथ देने के लिए, हर मुश्किल रास्ते पर मेरा हाथ और कस के पकड़ने के लिए और मेरे बिना कहे ही मेरे दिल की बात समझने के लिए ।।
भगवान से हमेशा यही मागूंगी की :-
"अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो,
और हर जनम मुझे यही मां दीजो।।"








सब्र

हैलो फ्रेंड्स...आज आपके लिए हम लेकर आए है सब्र की वो परिभाषा जो बचपन से सिखाई गई परिभाषा से बिल्कुल अलग है, बहुत कोशिश की जाती है बचपन से ही की हम थोड़े में जीना सीख जाए, अपने आपको को परिस्थितियों के हवाले कर दे, ये सिख जाए की जितनी चादर हो उतने ही पर फैलाने चाहिए। 
लेकिन बचपन का भी एक उसूल होता है, कि उस समय हमें जिस भी चीज के लिए मना किया जाए हमें वही करने में मज़ा आता है। अगर ये कहा गया है कि थोड़े में सब्र करो तो फिर हमें ज्यादा ही चाहिए होता है।
लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते जाते है जिंदगी कुछ और ही तय कर लेती है हमारे लिए,
वरना...

"जिस नज़ाकत से लहरें पैरों को छूती है
यकीन नहीं होता इन्होंने कश्तियां डूबाई होंगी।।"

जी हां, ज़िन्दगी में कुछ वाकया ऐसे ही होते है जिनपर यकीन करना बहुत मुश्किल होता है। कभी कभी ज़िन्दगी के थपेड़े हमें बहुत अंदर  तक झकझोर देते है जितना कभी हमारी मम्मी के थपड़ो ने नहीं किया होता ।😀
कुछ चीजें चाहे ना चाहे ऐसी हो जाती है जिससे हम बदलने लगते है।। हालांकि शुरुआत में इस बदलाव का हमें अहसास तक नहीं होता, और फिर धीरे धीरे हम उन रास्तों को भी पार कर जाते है जो हमारी हदों में नहीं होते ।। इसी बीच कभी गलती से महसूस हो जाता है कि दिल बार बार समझाने कि कोशिश करता है लेकिन दिमाग़ उसकी एक नहीं सुनता और फिर जब दिल थक हार कर घुटने टेक देता है तब शुरू होता है एक ऐसा सफ़र जिसपर मिलता तो बहुत कम है लेकिन छूट बहुत कुछ जाता है ,,हमारी आदतें, मुस्कुराहटें, ज़िंदादिली, चीज़ो
 को देखने का सकारात्मक नजरिया, भावनाएं, सब कुछ धीरे धीरे पीछे छूट जाता है और मिलता क्या है:- नकारात्मकता, और सब्र।।

ना ना आप इस सब्र को समझने में गलती कर रहे है... ये वो सब्र नहीं जो हम खुद कर लेते है , जनाब " ये तो वो सब्र है जो हमें अपने आप आ जाता है।"
वो कहते है ना कि सब्र करने में और सब्र आ जाने में बहुत फ़र्क होता है।
इस परिस्थिति को समझाने के लिए एक छोटी सी कोशिश:-
आज कल रात भर इन पलकों पर नींद लिए जगने लगी हूं मैं, 
सपनों को रख कर सिरहाने अब करवटें बदलने लगी हूं मैं,
हां ,जो कभी ना करना था मुझे ...ना जाने क्यों अब करने लगी हूं मैं ।।
आज कल अपने आप को छुपा कर रखने लगी हूं मैं, 
कोई पढ़ ना ले इन आंखो को मेरी, अब डरने लगी हूं मैं,
ख्वाहिशों को करके बेसहारा अब अकेले ही जीने लगी हूं मैं,
हां ,जो कभी ना करना था मुझे....ना जाने क्यों अब करने लगी हूं मैं।।
खामोशियों की कड़ी अब जोड़ने लगी हूं मैं, 
बनाकर सुंदर महल रेत पर, अब खुद ही मिटाने लगी हूं मैं,
कभी फरियाद होती की कोई टूटे तारा तो कुछ मांग लूं , 
लेकिन अब टूटे तारे से मुंह मोड़ने लगी हूं मैं,
हां , जो कभी ना करना था मुझे...ना जाने क्यों अब करने लगी हूं मैं।।
बीच समुंदर फंसी कश्तियां किनारे ना ही आए तो बेहतर है,
क्योंकि अब किनारों पर भी डूबने लगी हूं मैं, 
ये सर्द हवाएं ले ना आए कुछ पुरानी यादें , तो खिड़कियों के परदे ठीक करने लगी हूं मैं,
हां ,जो कभी ना करना था मुझे.... ना जाने क्यों अब करने लगी हूं मैं।।


शनिवार, 17 अक्टूबर 2020

अब थकती नहीं हूं मैं

 हैलो फ्रेंड्स ....पोस्ट पढ़ लो 🤗🤗
बहुत बार मैंने लोगो को इस मुद्दे पर बहस करते हुए देखा है *" कि शादी के बाद कुछ बदलता है या नहीं"* ?
हालांकि मैं उस बहस का हिस्सा नहीं बनना चाहती लेकिन मैं ये ज़रूर कहना चाहूंगी की किसी के लिए कुछ बदले ना बदले लेकिन उस लड़की के लिए बहुत कुछ बदल जाता है जो अपना घर,परिवार, मां- बाप, सखी सहेलियां और अपने बचपन को हमेशा के लिए छोड़ कर अपने ससुराल आ जाती है, तो फिर इस कविता के माध्यम से देखिए कि उसकी ज़िन्दगी में कैसे कैसे बदलाव होते है:-
पहले की तरह अब बेवजह हंसती नहीं हूं मैं,
उलझे हुए बालों की गांठों में , अब फंसती नहीं हूं मैं,
देख कर शीशे में खुद को अजीब से मुंह, अब बनाती नहीं हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा, अब थकती नहीं हूं मैं।।
पहले की तरह अब आलू के परांठे बनाने में हिचकती नहीं हूं मैं,
तवे से जल जाए अगर हाथ मेरा कभी तो, अब रोती नहीं हूं मैं,
आ जाए अगर कभी बारिश तेज़ तो, अब जमकर भीगती नहीं हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा, अब थकती नहीं हूं मैं।।
पहले की तरह नई चीज़ देखकर अब चहकती नहीं हूं मैं,
अगर ले ले कोई मेरे हिस्से का, तो भी अब रूठती नहीं हूं मैं,
अगर ना हो ice Cream मेरी पसंद की, तो भी चला लेती हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा, अब थकती नहीं हूं मैं।।
पहले की तरह देख कर खूबसूरत चांद को, अब खोती नहीं हूं मैं,
रात से डरे हुए ज़माना हो गया, अब कई कई रातें सोती नहीं हूं मैं,
अगर ना आए कोई बात पसंद तो भी "हां" में सिर झुका देती हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा, अब थकती नहीं हूं मैं।।
बच्चो के साथ अब बच्चा बनकर खेलती नहीं हूं मैं,
देख बाजारों में वो खूबसूरत गुड़िया, अब ठहरती नहीं हूं मैं,
ज़िन्दगी बहुत आगे ले आई है, अब पीछे मुड़कर देखती नहीं हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा अब थकती नहीं हूं मैं।।
पहले की तरह दिल दुखाए कोई मेरा, तो उसे अब कुछ कहती नहीं हूं मैं,
ज़ोर से बोल दे अब अगर कोई तो, सहमती नहीं हूं मैं,
अब उस 6 मीटर की साड़ी में उलझती नहीं हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा अब थकती नहीं हूं मैं।।
पहले की तरह हर एक पर विश्वास करती नहीं हूं मैं,
लेकिन खेलना चाहे कोई मेरी भावनाओं से तो उसे माफ़ करती नहीं हूं मैं,
तुमने जो सबक सिखाए ज़िन्दगी के, उन्हें भूलती नहीं हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा, अब थकती नहीं हूं मैं।।
तेरा वो निस्वार्थ प्यार, कभी भूलती नहीं हूं मैं,
देख मेले में वो बचपन वाले झूले, अब झूलती नहीं हूं मैं,
अब बड़ी हो गई हूं , इसलिए कभी अब बचपन को ढूंढती नहीं हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा, अब थकती नहीं हूं मैं।।
पहले की तरह चलते हुए अब लड़खड़ाती नहीं हूं मैं,
बिना सोचे समझे कोई कदम, अब बढ़ाती नहीं हूं मैं,
ज़िन्दगी की जो सीख तुमने दी, उसके परे अब जाती नहीं हूं मैं,
धीरे धीरे होते होते अब पूरी मशीन हो गई हूं मां,
यकीन करो मेरा, अब थकती नहीं हूं मैं।।


गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

Perfect pair

 हैलो फ्रेंड्स ....(पोस्ट पढ़ लो...)😉😉


"A silent boy and a talkative girl are the perfect match for life".

हां जी, बहुत बार सुनी होंगी आपने ये खूबसूरत सी पंक्तियां... पर क्या लगता है आपको क्या ये पंक्तियां हमारी वास्तविक जीवन में सटीक बैठती होंगी..?
जी हां आज हम ऐसे ही खूबसूरत अहसास के बारे में बात करने वाले है....
हमारे आस पास ऐसे बहुत से couple है जो habbit और nature में वो एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं लेकिन फिर भी बहुत ही dedication के साथ खूबसूरत तरीके से अपने इस प्यारे से रिश्ते को निभाए जा रहे है ।।
Actually बहुत बार देखने को मिलता है कि जब दो opposite लोग मिलते है तो उनके बीच की केमिस्ट्री बहुत ही बेहतरीन होती है बजाए दो similar लोगों के....
दो opposite लोगों में अगर किसी एक को कुछ पसंद नहीं होता तो दूसरे के साथ रहते रहते उसे भी वो चीजें पसंद आने लगती है , हां भले ही पूरी तरह से ऐसा ना हो लेकिन थोड़ा थोड़ा एडजस्ट करते करते वो एक "perfect Pair" बन जाते है।।
इसे समझने के लिए आपको मेरी आगे कि कुछ पंक्तियों पर गौर करना होगा...उम्मीद करती हूं कम शब्दों में आपको ज्यादा समझा पाऊं...

हां, बहुत simple हो तुम, और मैं अब भी high heels की चाह रखती हूं,
black shirts से परहेज है तुम्हें, और मैं अलमारी में सिर्फ black रखतीं हूं,
हां, बहुत खर्चीले हो तुम और मैं बचत में विश्वास रखती हूं, 
कंजूस नहीं हूं मैं, लेकिन आगे का सोच कर चलती हूं,
जानती हूं कि तुम बहुत कम में भी खुश हो, लेकिन मुझे वो सब चाहिए जो मैं deserve करती हूं ।

हां, बहुत cute हो तुम, और मैं थोड़ा खडूस वाला behave करती हूं,
बहुत confident हो तुम, और मैं आज भी nervous होने पर नाखुन चबाने लगती हूं,
हां, नहा कर तुम सरसों का तेल लगा लेते हो, और मैं अब भी perfume की चाह रखती हूं,
तुम फेर लेते हो हाथ ऐसे ही बालों में, और मैं straightner की चाह रखती हूं
जानती हूं कि तुम बहुत कम में भी खुश हो, लेकिन मुझे वो सब चाहिए जो मैं deserve करती हूं ।

हां, तुम्हें चाय पसंद है जो कभी कभी तुम्हारे लिए मैं भी पी लेती हूं, पर फिर भी कोल्ड कॉफी की चाह रखती हूं,
कभी थकान होने पर तुम सोना पसंद करते हो, और मैं तुम्हारे कंधे पर सिर रखकर घंटों बैठे रहने की चाह रखती हूं,
जानती हूं कि तुम बहुत कम में भी खुश हो, लेकिन मुझे वो सब चाहिए जो मैं deserve करती हूं ।

हां, तुम कुछ कहते नहीं हो कभी, और मैं बिन बोले ही तुम्हारे दिल का हाल जानती हूं,
इस प्यारे से रिश्ते को ऐसे ही निभाते रहे , बस यही दुआ मैं रोज मांगती हूं,
बहुत कुछ नहीं चाहिए तुम्हें, और मैं दुनिया कि हर खुशी तुम्हें देना चाहती हूं, 
😎😎अब तुम बहुत कम में खुश हो तो रहो,
लेकिन मुझे वो सब चाहिए जो मैं deserve करती हूं।।




Papa

हैलो दोस्तों कैसे है आप? 

मैं आपकी होस्ट और दोस्त आज फिर आपके लिए कुछ जिंदगी से जुड़ा हुआ, कुछ रोज की परेशानियों से अलग, और दिल को सुकून देने वाला विषय लेकर आई हूं।

जी हां, वैसे तो दुनिया का हर रिश्ता अजीज़ और प्यारा होता है, हर रिश्ते की अपनी एक गरिमा, अपनी एक जगह होती है। लेकिन दोस्तों, कुछ रिश्ते ऐसे होते है जो कभी ये बयां नहीं करते कि हम उनके लिए कितने महत्वपूर्ण है, वो कहते है ना की हर अहसास को बयां नहीं किया जाता। आज मैं उसी अहसास से भरे हुए रिश्ते को लेकर आई हूं आपके लिए, जो आपसे कभी ये नहीं कहते की आप में उनकी जान बसती है, लेकिन वो पूरी दुनिया को आप पर लूटा सकते है वो भी बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी स्वार्थ के!!

जी हां अब तक आप समझ चुके होंगे की मैं किस रिश्ते की बात कर रही हूं। जी बिलकुल मैं बात कर रही हूं एक पिता और उनके बच्चे रिश्ते के बारे में, तो आइए कुछ देर के लिए डूब जाए इस प्यार भरे रिश्ते के अहसास में, दो चार गोते मार ले इनकी समुद्र सी गहराई में....

पिता पर लिख पाऊं, ऐसे अल्फाज़ कहां से लाऊं"

कैसी मुश्किल है देखिए...बहुत समय से सोच रही थी कि पिता के लिए कुछ लिखूं लेकिन आज कलम लेकर बैठी हूं तो वो भी उनके सम्मान में झुकी हुई है, मानों मुझे याद दिला रही हो कि यही वो व्यक्ति है जिसने मुझे इसे पकड़ कर लिखना सिखाया है।।
समझ ही नहीं आ रहा की कहां से वो शब्द लाऊं जिनसे हमारी ज़िन्दगी में पिता की भूमिका को दर्शाया जा सके ।। बहुत मुश्किल है उन भावनाओं को शब्द देना जो एक पिता के दिल में उसके बच्चे के लिए होती है,

"पिता से ही बच्चो के ढ़ेर सारे सपने है 
 पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने है।।"

बहुत बार सुनी होंगी आपने ये खूबसूरत पंक्तियां..
लेकिन क्या असल ज़िन्दगी में हम इन पंक्तियों का महत्त्व समझ पाते है।। हम और आप ना जाने कितनी ही बार इस बात पर आपनी मोहर लगा देते है कि जितना एक बच्चे के लिए उसकी मां कर सकती है उतना कोई नहीं कर सकता लेकिन ये कहकर हम पिता कि हमारी ज़िन्दगी में जो अहम भूमिका है उसे अनदेखा नहीं कर सकते ।।
यकीन मानिए जो हर मोड़ पर हमारी उंगली थामकर खड़े होते है, जो अपने कंधे पर ज़िम्मेदारियों का बोझ चुपचाप उठा लेते है और बिना उफ्फ तक किए हमारे लिए वो सब करते है जिसमें हमारी खुशियां हो वो सिर्फ और सिर्फ पिता ही होते है।।बच्चे जो सपने देखते है उनमें रंग भरने का काम भी पिता ही करते है।।

पिता के लिए सब कुछ यहां लिख पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल है लेकिन चंद पंक्तियां है मेरे पास उनके लिए उम्मीद करती हूं आपको पसंद आएगी....

**क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है
एक पिता भी तो खुद को जलाकर बच्चो को रोशनी देता है।।
जब पैदा होता है बच्चा तो मिठाईयां तो वो भी बांटता है
उतनी ही ममता से वो भी उसे गले लगता है
जब रोता है बच्चा तो वो भी तो सारी रात सो नहीं पाता है
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
बच्चे की एक मुस्कुराहट पर वो भी तो अपना हर ग़म भूल जाता है
उसकी ख्वाहिश को पूरा करने में अपनी चाहतों को दाव पर लगाता है
जब चलना सीखता है बच्चा तो वो भी तो अपनी उंगली के सहारे से उसे कदम बढ़ाना सिखाता है
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
जब किसी मोड़ पर डगमगाते है बच्चे तो आगे का रास्ता भी वहीं दिखाता है
उनकी कामयाबी देख वो भी तो बच्चो कि तरह ताली बजाता है
बच्चो की खुशी की खातिर ही वो अपनी पूरी जिंदगी लगा देता है 
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
बस फ़र्क इतना है दोनों में की मां की ममता दिखाई दे जाती है..और पिता अपना प्यार दिखा नहीं पाता  है... शायद इसलिए एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।

 


Aazadi

आज यही पड़ोस के घर में रोने की तेज तेज आवाजों ने मेरी प्यारी सी नींद को तोड़ने में एक क्षण भी नहीं लगाया। लगातार बस यही सुनने को मिल रहा था, कि लड़की हुई है, इससे अच्छा तो होती ही ना।

लड़की को पैदा करने के जुर्म में उसकी मां को भी लगातार गलियां सुनने को मिल रही थी, बार बार उसको ये अहसास दिलाया जा रहा था कि उसने कितना भयानक जुर्म किया है। बार बार उसे ताने देकर बताया जा रहा था कि अगर वो लड़की की जगह लड़का पैदा करती तो आज मातम की जगह खुशियां मनाई जाती। उसे पड़ोस वाली औरतें भी ये बता रही थी कि उसमे लड़का पैदा करने कि क्षमता नहीं है, इसलिए लड़की पैदा करने के बाद वो किसी से भी ये उम्मीद न रखे कि सब लोग उसे इज्ज़त बक्शेंगें।

लेकिन इन सब के बीच वो नन्हीं सी परी अपनी मोटी मोटी आंखो को खोले बहुत आस से एक एक करके सबको देख रही थी, कि गलती से कोई मुस्करा कर उसे गोदी में उठा ले। लेकिन बच्ची है, नादान है ना जानती ही नहीं कि ये सारे बेशर्म लोग उसके आने से खुश नहीं बल्कि घोर दुखी है। कोई उसे गोदी लेना तो दूर उसको देखना तक नहीं चाहता।

सच में, ये सच कितना कड़वा है ना कि बहु सब को सर्वगुण संपन्न चाहिए, लेकिन आज भी समाज में ऐसे लोग है जो बेटी को पैदा करना ही नहीं चाहते, उसे आज भी बोझ मानते है, आज भी नानी दादी सिर्फ पोते पोतियों की चाह रखती है।। आज भी लड़की होने पर कभी उसे कचरे के डिब्बे में फेंक दिया जाता है, या मार दिया जाता है।

सच में, ये समाज आज भी पहले की तरह ही दोगला समाज है, जो लडकों के लिए अलग है और लड़कियों के लिए अलग।

आज की चर्चा उन लड़कियों के लिए है जिनके लिए आगे बढ़ना तो दूर...आगे बढ़ने के सपने देखना भी पाप जैसा है ।।


बहुत दुख हो रहा है ये कहते हुए भी की आज भी लोग लड़को और लड़कियों में भेद करते है...
लाख बंदिश है जो उन्हें ये समझने ही नहीं देती की उन्हें भी हक है अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जीने का..बिल्कुल वैसे ही जैसे उनके भाई जीते है ।।
पता नहीं लोग क्यों ये नहीं समझना चाहते कि जब भगवान ने कोई फ़र्क नहीं किया तो वो क्यों इस पाप के भागीदार बन रहे है...जीने दो इन परियों को भी अपने तरीके से.... उड़ान भरने दो इन्हे भी अपनी गति से....
और यकीन मनिए....एक दिन वो भी आएगा जब आपको इनपर नाज़ होगा ... क्योंकि ये उस मुकाम पर होंगी जहां की आपने कभी ख्वाहिश भी नहीं की होगी...
यकीन मानिए उस वक़्त आपको यकीन नहीं होगा कि ये आपकी वहीं परियां है.... जिनके हंसने पर भी आपने पाबंदियां लगाई थी।।
चलिए जिसे समझना होगा वो इतने में समझ जाएगा... बाकी जिसको ये समझ नहीं आया उनके लिए कुछ और है मेरे पास....

मैं क्या जानू आज़ादी को ,कैसे खुद को लड़का मानू
मिले ही नहीं जो पंख मुझे , कैसे फिर मैं उड़ना जानूं ।
कैसे भुला दू इस हकीकत को, कैसे सच को सपना मानू
जब आए अपने आंसू देने को,कैसे फ़िर मैं रिश्ते जानूं ।
सुकून दिया जिन फूलों में मुझे, कैसे उनको काटें मानू
हर पल जब खाई ठोकरें मैंने,कैसे फिर मैं उठना जानूं ।
दिखाए मैने जो सपने दिल को,कैसे उनको टूटा मानू
मिला ही नहीं कभी दरिया मुझे, कैसे फिर मैं प्यास को जानूं ।
भिगोया ही नहीं जिसने मुझे , कैसे उसको रिमझिम मानू
जब मिली ही नहीं मूर्त मुझे , कैसे फिर मैं पूजा जानूं ।
हर पल रुलाया जिसने मुझे, कैसे उसको अपना मानू
मिली ही नहीं कभी खुशी इस दिल को, कैसे फिर मैं हंसना जानूं ।
पाया है हर पल चार दीवारों मैं खुद को, कैसे इसको दुनिया मानू
मिला ही नहीं कभी जीवन मुझे तो , कैसे फिर मैं मौत को जानूं ।

मैं क्या जानूं आज़ादी को, कैसे खुद को लड़का मानू
मिले ही नहीं कभी पंख मुझे तो कैसे फिर मैं उड़ना जानूं।।



रविवार, 11 अक्टूबर 2020

ख्वाहिशें

आज की भागमभाग में हम उस ज़िन्दगी से बहुत दूर निकल आए है, जिसे कभी हमने भरपूर जिया होता है, हर लम्हे को पास से छू कर देखा होता है, शोर के साथ अपनी आवाज़ मिलाकर दिल के तार छेड़े होते है, खामोशियों के साथ अपनी अलग ही कोडिंग की होती है ।।






हवा के झोंके के साथ बहना सीखा होता है, कड़ी धूप में भी अपनी मस्ती के साथ छांव का अहसास किया होता है, रात भर आखों से गुम हुई नींद को छत पर बैठकर तारों से बातें करते हुए आवाज़ लगाई होती है...हर पल को कुछ इस तरह से जिया होता है जैसे वो हमारी ज़िन्दगी का आखिरी पल हो।।







लेकिन कहते है ना " जब सिर पर जिम्मेदारियां बढ़ जाती है तो ख्वाहिशें खुदकुशी कर लेती है " बस कुछ यही होता है जब ज़िन्दगी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही होती है और हम उसी रफ्तार से पीछे छूट रहे होते है...पर फिर भी कभी कभी उस पीछे छूटी ज़िन्दगी को दिल बिल्कुल वैसे ही दुबारा अपनी मुट्ठी में दबाना चाहता है जैसे वो अपनी मां का दिया हुए एक रुपए का सिक्का ये समझ कर दबा लेता है कि ये सिर्फ उसका है और इसपर सिर्फ उसका हक है...फिर कितनी कोशिश करनी होती है उसे समझने के लिए "देखिए":-


 









बहुत समझाया मैने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती है।    वो ज़िन्दगी रहती ही नहीं अब उस पते पर , आकर वो जिसकी door bell बजाती है ।।                                                                      समझती नहीं वो की समझदारी आते ही , मासूमियत अपनी seat छोड़े जाती है , लफ्ज़ जब तक समझ आते है ठीक से , तब तक बातें बेअसर हो जाती है।                                                                     समझती ही नहीं  वो की अब वो सुकून भरी रात कहां आती है, जब तक उस लम्हें तक पहुंचते है हम, तब तक ज़िन्दगी दुबारा रफ्तार भरे जाती है।                                                                                  बहुत समझाया मैने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं, वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी door bell बजाती है।।                                                                               समझती नहीं वो की सर्दियों की वो गरम धूप अब मेरी ठिठुरन और बढ़ाती है,
जब तक ज़िम्मेदारियों से फरिक़ होते है हम, तब तक वो भी अपने घर लौट जाती है।                                                                          कैसे समझाऊं इसे की ये बारिश मेरे कपड़ों की बजाए , अब मेरी रूह को भिगोती है , नहीं समझती वो की ज़िन्दगी अब एक साबुन सी हो गई है जितना जीने कि कोशिश करो उतना घिसती जाती है।              आती है अब भी वो पुरानी यादें , और मेरे कंधे पर सिर रखकर अपना मन हल्का किए जाती है, जो कुछ छूट गया है पीछे उन सब की list मुझे थमा जाती है                                                                        कैसे समझाऊं उसे की इन सब बातों को दिल पर ना ले, ये ज़िन्दगी है उन्ही ही कट जाती है, कभी हम ख्वाहिशों को छोड़ देते है और कभी ख्वाहिशें हमें छोड़ जाती है।                                                          बहुत समझाया मैने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं, वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी door bell बजाती है ।।

                                                                              



 








 


 


 






    






हैप्पी बर्थडे पापा

  पापा मेरी मां के अलावा वो पहले इंसान है, जिसने मुझे हमेशा महसूस कराया कि मैं कितनी ख़ास हूं । आपने मुझे हमेशा ऐसे रखा है, जैसे मैं कोई रा...