हैलो फ्रेंड्स..... पोस्ट पढ़ लो....
....an unborn baby girl wants to say something to u.....
बेबस हूं, लाचार हूं
मैं वो अजन्मी संतान हूं
माँ की कोख़ में जब आई थी
खुशियां ढेरो लाई थी।
ज ब पता चला घर वालो को
कोख में लड़की आई है,
लिंग परीक्षण से क्योंकि
जांच उन्होंने करवाई है।
सहम गई थी माँ सुनकर
जब कानों में उसके
मुझें गिराने की बात आई थी।
वो कुछ न बोल सकी थी तब
बस दिल मे लिए बैठी थी दर्द
मैं भी चाहती थी,
पहचान बनाना चाहती थी,
माँ बाप के नाम को मैं भी
रोशन करना चाहती थी
पर बेबस, लाचार थी मैं
अपने हक को न लड़ सकती थी
माँ भी मेरी डरी बैठी थी
वो भी कुछ न कर सकती थी।
हाँ चाहती तो बचा सकती थी मुझकों
पर अपने भविष्य के कारण
उसने मेरी बली चढ़ाई थी,
चाहती थी वो अपना जीवन
और दाव पर मेरी ज़िंदगी लगाई थी।
न जाने क्या गलती थी मेरी
जो दादी दादा भी न चाहते थे
क्यों मुझ अजन्मी संतान को
वो गिराना चाहते थे!
न पसंद थी मैं उनको
शायद इसलिए कि मैं लड़की थी
बस येही मेरी गलती थी
चाहते थे वो पोता
पर माँ की कोख में "पोती"
उनकी आई थी
वो अब भी पिछड़ी सोच को लेकर
जी रहे है आज में
सोचते है लड़की को बोझ
और करा देते गर्भपात है
शायद इसी सोच की
बली चडूंगी मैं भी,
गर्भ में मारी जाऊंगी
और ऐसे ही बेबस- लाचार रह जाऊंगी।
उस दिन सुन रही थी मैं बातें सारी
माँ पर तंज कस रही थी दादी
पापा भी चुप चाप खड़े थे
आँखे उनकी भी नम थी
कोस रहे थे शायद वो भी
समाज की नीति माँ की भांति,
दादी के जाने के बाद
मुँह से बोल फूटे उनके भी
बोले माँ से वो भी ऐसा
मैं भी सोच में पड़ी सुनते ही
"न कर बेटी को पैदा
वो न सुरक्षित रह पाएंगी,
इस समाज के गुंडों की
गंदी नज़रो की भेंट चढ़ जाएगी,
मैं भी चाहता हूं बिटियां को
पर जब देखता हूं नज़र घुमा कर
डर से सहम जाता हूं मैं भी
बोझ नहीं है बेटी मुझपर
फिर भी मैं कतराता हूं"
शायद ये भी वजह रही थी
डरे सहमें बैठें थे पापा भी
कि किसी दिन भेंट न चढ़ जाए उनकी बिटिया
नज़रों में वो आना जाएं
येही सोच कर वो भी चाहते थे
उनकी बेटी अजन्मी रह जाये।
लाचारी बेबसी से घिरी मैं
चाहती थी दुनियां में आना
पर इस दुनिया की भद्दी सोच के कारण
मैं अजन्मी ही रह जाऊंगी
और शायद माँ की कोख में ही
मार दी जाऊंगी।