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बुधवार, 25 नवंबर 2020

Someone's confession 2

आप मानो ना मानो.... लेकिन जो लोग आपको आपकी औकात दिखा देते है ना....वो आपके ज़िन्दगी के बहुत खास इन्सान होते है ....
120 की स्पीड से भाग रही ज़िन्दगी पर एक खड़ी ब्रेक लगा देते है.... उन सब ग़लतफहमियों से पर्दा उठा देते है....जो हमनें कभी जान बुझ कर और कभी अनजाने में ही टांग लिए होते है....
लेकिन ग़ौर करने वाली बात ये है कि हम सिर्फ उन परदों को टांगने का काम करते है...
उनकी लंबाई, चौड़ाई, उनका रंग वो सब वो लोग डिसाइड करते है ।
अचानक से सारे भ्रम टूट जाते है...वो सारे पल बेमानी से हो जाते है जो हमें हमसे ज्यादा प्यारे होते है।।
कई बार ये परिस्थिति किसी की ज़िन्दगी में एक या दो बार आती है...क्योंकि उसके बाद वो उन लोगो से सावधान हो जाते है..लेकिन कुछ बहुत ही खुशनसीब होते है क्योंकि उनकी ज़िन्दगी में ऐसे लोग परमानेंट होते है और वो चाह कर भी उनसे सावधान नहीं हो सकते...हर बार पागलों की तरह विश्वास कर लेते है कि फिर दुबारा ऐसा नहीं होगा....लेकिन वो ये भूल जाते है कि वो कुछ एक्स्ट्रा खुशनसीब होते है।।
इसलिए बेवजह के भ्रम पालने से अच्छा है कि कुछ टाइम खुद के साथ बिता लो...अपने आप को शीशे में देखो...और महसूस करो कि वो दूसरी तरफ दिखने वाला शख्स अपनी मुस्कुराहट के लिए पूरी तरह तुम पर depend हैं।। तो उसके लिए खुश रहो...और वो सब करो जिससे वो खुश रह सके।।
 

मंगलवार, 24 नवंबर 2020

Someone's Confession

हैलो फ्रेंड्स.... पोस्ट पढ़ लो
आज मैं आपके लिए किसी का confession ले कर आई हूं...और ये मैं इसलिए लेकर आई हूं ताकि आप अपने आप को इस बेवजह सी उदासी से बचा सको...इस अनमोल जीवन के हर पल को खुल कर जी सको...
कभी कभी यू ही बिना किसी वजह मन फिर u turn ले लेता है...
लौट जाना चाहता है फिर से वहां जहां वो पहले वाली बचपन वाली ज़िन्दगी बाहें फैलाए खड़ी है...
लौट जाना चाहता है फिर उन्हीं गलियों में जहां वो ice cream वाले बूढ़े अंकल दोपहर 2 बजे वाली स्कूल की घंटी के बजने के इंतज़ार में तैयार खड़े होते थे...
लौट जाना चाहता है उस तारों से भरे आसमान में जो इन आखों को ढेर सारे सपने दिखाने में माहिर होता था...
लौट जाना चाहता है उन दीवाली के दीयो के पास जिनसे जलने का तो डर था लेकिन उनकी वो जलती हुई जगमग लौ दिल को बहुत ठंडक पहुंचती थी...
लौट जाना चाहता है उस खेल के मैदान में जहां से चोट लगवा कर मां के पास आते थे और उनकी वो हल्की सी फूंक वो घाव भरने के लिए काफी थी।।

भाग तो आज भी रहे है वैसे ही जैसे उस खेल के मैदान में दूर तक भागते थे...लेकिन तब टाइम भी तय था और दूरी भी तय थी.... पता होता था कि इस मैदान से बाहर नहीं जाना,
पता होता था कि 6 बजे वापिस लौटना होगा घर..
लेकिन अब तो वापिस लौटने का ना तो कोई टाइम है..और ना कोई कारण ... इस भागम भाग में ना खाने की सुध है और ना पीने की... कुछ याद है तो सिर्फ इतना की भागना है....कभी रिश्तों के लिए..
कभी अपने लिए ...और कभी यूंही बेवजह।।

लेकिन कभी कभी इस भागम भाग के बीच कोई ठोकर यूंही लग जाती है....और कई बार ये अंदर तक चोट पहुंचती है...
फिर मन इस सफर से ऊबने लगता है....आगे ना जाकर वापिस लौटना चाहता है;
लेकिन भूल जाता है कमबख्त, वो ज़िन्दगी अब उस पते पर रहती ही नहीं, अब सब बदल गया है
वो बचपन वाली ज़िन्दगी बाहें फैलाए इसे नज़र तो आ रहीं है लेकिन असल में वो कहीं है ही नहीं...
वो ice Cream वाले बूढ़े अंकल भी बेबस से लाचार से है इस पल पल रंग बदलते समाज के आगे...
वो सपनों वाला आसमान उन ऊंची ऊंची इमारतों के आगे अपने घुटने टेक चुका है...अब वो दिखता ही नहीं,  कुछ दिखता है तो सिर्फ वो आलीशान से इमारतें...
वो दीवाली वाले दिए भले ही जलते होंगे आज भी लेकिन वो नन्हे हाथ अब उनसे डरते नहीं है...और ना उस ठंडक को महसूस करते है,
वो खेल का मैदान वो रहा ही नहीं... अब वो मल्टीप्लेक्स का गढ़ बन गया है... हां भीड़ तो आज भी बहुत होती है वहां आज भी... लेकिन वो मिट्टी में खेलने वाला बचपन नहीं होता।।।
लेकिन ये नहीं समझेगा...
बताया तो था मैने आपको की ये भी तो बच्चा ही है...
इसे भी सिर्फ वो चाहिए जो इसे अच्छा लगता है
और अच्छा ही है ना... बच्चा बने रहने दो इसे... एक बार बड़ा हो गया तो आए दिन नए नए समझौतों के बीच कहीं दब कर रह जाएगा...
"बच्चा है तो इसे बच्चा ही रहने दो जनाब,
सुना है ज़िम्मेदारी समझदार बना देती है,
बचपना है तो बचपना ही रहने दो ,
ये समझदारी वाली ज़िन्दगी बहुत भगाती है।।



सोमवार, 23 नवंबर 2020

बराबरी

हैलो फ्रेंड्स....पोस्ट पढ़ लो...
मेरी आज कि पोस्ट उस नाज़ुक समय के लिए है जब हम किसी की देखा देखी, किसी से होड़ में, या किसी के बहकावे में, या कभी अनजाने में ही आपने आप को खोने लगते है... वो बनने की कोशिश करने लगते है.. जो हम है ही नहीं, और ना कभी बन सकते है।। बिल्कुल वैसा बनना चाहते है जैसा वो सामने वाला शख्स आपको बनाना चाहता है...
क्योंकि उसे पता है की आप पूरी तरह उसकी गिरफ्त में है...उस वक्त वो जो चाहे आपसे करवा सकता है।।।
लेकिन हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जीवन सिर्फ एक बार मिलता है, और भगवान जी ने हम सब को अलग अलग बनाया है।।
तो फिर हम क्यों इस कीमती जीवन को किसी के जैसा बनने की होड़ में खत्म किए जा रहे है....
आज मैं आपको एक कन्फेशन सुनना चाहूंगी जो हूबहू इन परिस्थितियों से दो चार होने के बाद निकल कर सामने आया है...तो ग़ौर फरमाएगा -:
हां, बहुत दूर निकल आई हूं मैं,
वो सब पीछे छोड़कर जिससे मुझे बहुत खुशी मिलती थी,
सिर्फ तुझसे बराबरी करने के लिए,
लेकिन बैठी हूं आज एक अरसे बाद तो समझ आया
की मेरी और तुम्हारी बराबरी तो मुमकिन ही नहीं,
क्योंकि तुम्हे तालीम उस्तादों से मिली है,
और मुझे सिखाया है मेरे हालातों ने,
तो खामख्वाह ही इतनी दूर निकल आई मैं।।
तुझे बारिश बहुत पसंद है,
फुहारों के साथ झूमते हुए देखा है मैने तुझे,
तेरी बराबरी के चक्कर में बहुत भीगी हूं आज मैं,
लेकिन फुहारों के थमने पर समझ आया,
की बारिश से गीली छत में,
और बारिश से टपकती छत में बहुत फर्क होता है,
फिर भी ना जाने क्यों इतना दूर निकल आई मैं।।
बाहर का खाना बहुत पसंद है तुझे,
बहुत बार बड़े चाव से खाते हुए देखा है तुझे,
तेरी बराबरी के चक्कर में आज पिज़्ज़ा के रेट पता कर आई मैं,
लेकिन जब खाने बैठी हूं तो समझ आया कि,
इस अध पके मैदे में,
और सिलवट पड़े मां के हाथ के खाने में बहुत फर्क होता है,
फिर भी ना जाने क्यों इतना दूर निकल आईं मैं।।
दिखावा बहुत पसंद है तुझे,
बहुत बार रंग बदलते हुए देखा है तुझे,
तेरी बराबरी के चक्कर में आजकल रंग बदलना सीख रही थी मैं,
लेकिन आज जब भरी भीड़ में खुद को अकेला पाया तो समझ आया कि,
किसी की ज़िन्दगी को रंगों से भरने में,
और वक्त आने पर रंग बदलने में बहुत फर्क होता है,
तो अब पछता रही हूं मैं की क्यों इतनी दूर निकल आई हूं मैं।।

अब दो शब्द उनके लिए जिनके वजह से हम, हम नहीं रहते...

हां, अब पछता रही हूं मैं,
लेकिन अब पछताने से क्या होता है,
अब मैं फिर से मैं हो जाऊंगी, सोच लिया ये आज मैने,
क्योंकि सुना है कहीं की हर अंधेरी रात के बाद सूरज फिर निकलता है,
तू खुश रह अपनी इस दिखावे की दुनिया में,
इस बराबरी में क्या रखा है,
इन सब के चक्कर में हम अपने आप को खो देते है,
और फिर हमारे अंदर कोई और ही इन्सान बसता है।।
चल अब हम दोनों देखते है , की तेरा दिखावे का जादू कब तक चलता है,
ये रंगों की पोटली सिर्फ तेरे पास ही नहीं,
ये दुनिया है नासमझ, यहां वक्त पड़ने पर हर शख्स अपना रंग बदलता है।।

रविवार, 15 नवंबर 2020

Children's day

हैलो फ्रेंड्स....गुड मॉर्निंग...

Wish you a very happy diwali and children's day....on this beautiful day....it's time to say that....

 बच्चा आज भी एक अंदर छुपा है 

बस उसे पहचान पाना मुश्किल हो गया है 

हर "चिल्ड्रन डे "वो मेरे अंदर एक हलचल मचाता है 

तेरे अंदर मैं भी हूं ये याद दिलाता है

अपनी अठखेलियो से मुझे बचपन में ले जाता है 

फिर से उसे देख झूमने का मन करता है ...

फिर से वो क्लास वाली छोटी सी पार्टी करने का मान करता है

बच्चा है ना .... थोड़ा नादान है...ना जल्दीसमझने को तैयार रहता है ।।।

इसलिए दुकान से एक टॉफी खा लेती हूं 

उसे कुछ देर के लिए खुश करके खुश हो लेती हूं ।


happy children's day all of u

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

Chaand

 Hello friend....gud evening and happy dhanteras to all of you.

Aaj un logo ke liye kuch jo apni khawahishon ko apne upper itna havi kr lete hai ... Ki baad me sapno aur haqiqaton ke bich is kasmksh me vo apne aap ko khone lgte hai...
Lekin ek baat pr Gaur kijiye:-

Agr hum zameen pr rhkr....... Chand ko chune ki koshish krte hai to.... Glti us chand ki nhi; ki vo humari pkd se bhar h
Blki Glti humari hoti hai... Ki hum aapni limit se bdh kr soch rahe hote hai

Hum sab jante hai ki har wish puri nhi ho skti...... Phir bhi hr wish puri karne ki zid pakd kr beth jate hai

Hum sab ko hamesha Yaad rakhna chahiye ki hum us chamkili duniya ke sapne to dekh skte hai....
Lekin khush hum aapni is choti si duniya me hi rh skte hai

Kyuki sach to ye hai ki vo chamkili duniya humare liye hoti hi nhi hai...................
So
?see dreams big   but
Live at present and your small world...........

बुधवार, 11 नवंबर 2020

बुरा लगना लाज़मी है

 हैलो फ्रेंड्स .... गुड मॉर्निंग....  पोस्ट पढ़ लो...
आज मेरा ब्लॉग उन सब लेडीज़ को dedicate हैं जो अपनी हर ज़िम्मेदारी बेहतरीन तरीके से निभाती है...heads off to all of you.
But उनसे ये भी कहना चाहूंगी की हर टाइम किसी के लिए available रहकर तुम उनकी ज़िन्दगी में अपनी value कम कर लेती हो। हर ग़लत बात चुप चाप सुनकर उन्हे अपने ऊपर हावी कर लेती हो।
और कई बार तो ये भी होता है आप लोगो के साथ कि सब कुछ अच्छे से करने के बाद भी कोई आपकी कद्र नहीं करता। मां की वो घर बसाने की  अनमोल सीख याद रखना अच्छी बात है लेकिन टाइम के साथ उस अनमोल सीख को modify आपको ही करना होगा...
आपने आप को इतना bold बनाना होगा कि ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सको।उनको उनकी औकात दिखा सको जो तुम्हारी कद्र नहीं करते। बस एक बार हिम्मत जुटा लो फिर सब ठीक हो जाएगा... किसी के लिए उन अरमानों को मत मारो जो तुम्हारे जीने की वजह हैं।।
So, let's swear की आज के बाद हम अपने साथ कुछ ग़लत नहीं होने देंगे
और कोई करे हमें ignore,
फिर हमें भी नहीं चाहिए वो anymore..😎
अरे अरे रुके ज़रा.. और भी है मेरे पास कुछ आपके लिए और उनके लिए भी जो कद्र नहीं करते... ज़रा ग़ौर फरमाए:-
बुरा लगना लाज़मी है उनका, मैने भी तो आज हदें पार की है,
हां, पहले 4 बार सोचती थी बोलने से पहले, लेकिन आज उनसे उन्हीं के लहज़े में बात की है।
जब ऊंची आवाज़ में बात करो तुम, तो मैने वो हमेशा चुप होकर सुनी है,
तो क्या हुआ अगर आज, मैने अपनी आवाज़ तुम्हारी आवाज से ऊंची की है, 
आज नहीं इस बारे में कल बात करेंगे, सो जाओ बहुत रात हो गई है,
तो क्या हुआ अगर आज मैने तुमसे , अपनी बात सुनने की गुज़ारिश नहीं की है,
आज नमक नहीं है सब्जी में, आज मिर्च ज्यादा हो गई है,  देकर रोज़ ये घिसे पिटे बहाने , तुमने अपनी झूठी थाली वहीं छोड़ी है,
तो क्या हुआ अगर आज मैने,
नाश्ते की तैयारी की फिक्र छोड़ी है।।
तुम चुप हो जाओ, उनसे कुछ मत कहना, उन्होंने हमारी परवरिश की है,
तुम्हें तकलीफ़ है तो कोई नहीं, सुनने की आदत डाल लो, समझ लो तुम्हारी मजबूरी है, 
तो क्या हुआ अगर आज मैने, 
ग़लत के ख़िलाफ़ जाने की हिम्मत की है।।
तुमने हमारे लिया किया क्या है, सुनकर उनकी बात तुमने ये प्रतिक्रिया दी है,
मैं जो चाहूं करूं, तुम्हे क्या... ये मेरी ज़िन्दगी है,
तुम अपने काम से काम रखो, लगता है शायद मैने गलती से तुम्हें ज्यादा छूट दे दी है,
तो क्या हुआ, अगर आज मैने, अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जीने की ठानी है।।

और हां सुनो ज़रा.... ये छूट तुमने मुझे खैरात में नहीं दी, इसके बदले मैंने तुम्हारी हर अच्छी बुरी बात मानी है,
मैं पलट कर जवाब नहीं देती, तो ये मेरी कमजोरी नहीं बल्कि मेरी अच्छी परवरिश की निशानी है,
जिन्होंने परवरिश की तुम्हारी, उनकी हर बात मैंने सिर झुका कर मानी है,
जब भी उनके तानों से आंखें भरी है मेरी, तब भी वो नमी के साथ मुस्कुराई है, और हां,
ज़िन्दगी मेरी भी है, उसे मैं भी अपने तरीके से जी सकती हूं,
छोड़ सकती हूं उन सब को जो मेरी ज़िम्मेदारी है,
लेकिन मजबूर हूं उस मां की सीख के आगे,
उसने कहा था कि बहुत लाड प्यार से पाला है तुझे और आज तेरी शादी की तैयारी है,
लेकिन याद रखना बेटी हमेशा ये,  की जिस घर डोली में जाती है बेटी,
उस घर से सिर्फ उसकी अर्थी निकलती है।।
और एक बात, हां माना आज मैंने तुमसे तुम्हारे लहजे मैंने बात की है वो इसलिए ताकि तुम वो पीड़ा महसूस कर सको जो तुम्हारे लिए हमेशा सिर्फ मैंने की है।।



मंगलवार, 10 नवंबर 2020

उपभोग की वस्तु

हैलो दोस्तो, मैं आपकी होस्ट और दोस्त आज फिर हाज़िर हूं लेकर कुछ जिंदगी से जुड़ा हुआ ।
जी हां, कुछ ऐसा जो कड़वा है लेकिन सच है।
हो सकता है आप सभी लोग मेरी बात से सहमत न हो लेकिन आज जो मैं आपके लिए लाई हूं वो वर्ग की रोज़ की कहानी है जहां आज भी पुरूष प्रधान समाज सत्ता में है। आज भी उस समाज में औरतों को सिर्फ घर संभालने वाली समझा जाता है। आज भी उस समाज में औरतें अपने अस्तित्व ढूंढते हुए अपनी उम्र गुजार देती है। आज भी उस समाज में औरतों को सिर्फ उपभोग की वस्तु समझा जाता है।
कड़वा है लेकिन सच है:

"दम घुट रहा है, शायद औरत होने की सजा है" 
क्या हुआ सुनकर अच्छा नहीं लगा ? आप लोगों ने तो सिर्फ सुना है एक औरत तो रोज इन परिस्थतियों से रोज़ दो चार होती है, कभी सोचा है उन्हे कैसा लगता होगा. बचपन से सिखाना शुरू कर दिया जाता है कि अच्छी लड़की वहीं होती है जो सब का अच्छा सोचकर चले। अपने से पहले अपनो का सोचे। लेकिन कभी किसी ने उसके बारे में सोचा है। पहले मां बाप के घर उनके अनुसार रहे, जैसा वो बोले वैसा करे, फिर शादी के बाद तो ये नौबत आ जाती है कि अगर अपने पैरेंट्स से मिलना है तो पहले घर में सबसे आज्ञा लो फिर जाओ।
आज लड़कियां किसी काम में पीछे नहीं है, वो घर और ऑफिस दोनों आराम से चला रही है, लेकीन कोई इस पुरुष प्रधान समाज से पूछे कि क्या किसी पुरुष ने ऑफिस से आकर एक ग्लास पानी भी खुद से लिया है। तो जब आज भी लड़कियों के लिए ये समाज पहले जैसा ही है तो ये बराबर के हक़ देने का डोंग क्यों?
इससे अच्छा ये है कि आप एक औरत की खूबियों में से उसकी कमियां निकालना बन्द करे और अपनी कमियों पर ध्यान दे।
वैसे अपनी कमियां खुद निकालना बहुत मुश्किल काम है , इसलिए अगर आपसे ये ना हो , तो फिर छोड़ दीजिए औरतों को उनके हाल पर, क्योंकि वो अपने लिए कल भी सक्षम थी, आज भी है, और कल भी होगी।
बस गलती उसकी ये है कि वो आप लोगो की तरह जता नहीं पाई, की आप उसके बिना अधूरे हो। और आप लोग तो साहब है, खुद से कभी ये बात समझ नहीं पाओगे।
औरतों के लिए कुछ बदल तो नहीं पाया अब तक लेकिन वो अपने आप को बदल सकती है, तो मेरी कोशिश है उन्हे थोड़ा समझाने की...ज़रा गौर फरमइएगा:-


हां मान लिया अब तुम अपनी जगह बनाना जानती हो,
हां मान लिया की कढ़ाई में कलछी चलाने के साथ अब तुम लैपटॉप चलना भी जानती हो,
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद की,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो,
दो मीठे बोल बोले जाए तुम्हें, तो तुम फूल सी खिल उठती हो,
जो भी दिया जाए तुम्हे, तुम हमेशा उसका डबल ही देती हो,
सब कर लोगी तुम, बात फिर भले ही चार काम एक साथ करने की हो,
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद की,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो,
बीमार हो जाए अगर घर में कोई अपना, तो तुम उसका पूरा ख्याल रखती हो,
फिर होती हो अगर कभी खुद बीमार, तो किसी के स्नेह भरे हाथ को अपने माथे पर ढूंढती हो,
एक जोड़ी पायल गिफ्ट में पा लेने पर, तुम दिन भर ठुमकती हो,
इस दिखावटी प्यार के जाल में, तुम हर बार फंसती हो,
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद की,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो,
किसी का वंश आगे बढ़ाने की तुम सिर्फ एक कड़ी हो,
वारिस दोगी उन्हे तुम, इसलिए उस घर से जुड़ी हो,
इतने सारे काम के बदले सिर्फ दो रोटी ही तो खाती हो,
उसपर भी कोई कहे की " सारा दिन क्या किया" तो तुम बिना कुछ कहे सब सुन लेती हो, 
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद की,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो,
सुबह उठ कर पांच बजे तुम रात ग्यारह बजे तक लगी रहती हो, 
अपने परिवार के आस पास अपनी पूरी दुनिया बसा लेती हो, 
तुम्हारी भी एक ज़िन्दगी है, हर बार ना जाने तुम ये कैसे भूल जाती हो,
सबकी खुशी की खातिर तुम अपना सर्वस्व दांव पर लगा देती हो
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद की,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो,
अपने अंदर भावनाओं को ज़िंदा रखने के लिए तुम रोज खुद को झूठी तसल्ली भी देती हो,
उन सड़े गले रिश्तों के बिना तुम्हारा कोई अस्तित्व नहीं तुम ये मान कर बैठी हो,
उड़ सकती हो खुले आसमान में, तो क्यों तुम खुली हवाओं से कतराती हो,
एक दिन वो दिया खुद के लिए भी रोशन करो, जो रोज तुम दूसरों के अंधेरे मिटाने के लिए जलाती हो।।
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद की,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।
लगाकर मेंहदी हाथों में उसपर तुम लाल चूड़ा सजाती हो,
किसी की लंबी उम्र के लिए तुम करवाचौथ भी रखती हो,
बड़ी बिंदी पसंद ना हो उसे, तो उसके लिए तुम छोटी लगाती हो, 
लेकिन मौका मिले तो उससे भी पूछ लो कभी की उसकी ज़िन्दगी में तुम क्या अहमियत रखती हो,
मानो मेरी बात कुछ अपने लिए भी करो कभी, 
क्योंकि तुम भूल गई हो शायद की,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।।





सोमवार, 9 नवंबर 2020

रंगदारी

हैलो दोस्तों, आज मैं आपकी होस्ट और दोस्त आपके लिए लेकर आया हूं कुछ जिंदगी से जुड़ा हुआ, कुछ उन पलों से जुड़ा हुआ जब हम अचानक से बड़े हो जाते है और महसूस करते है कि जो दिखता है अक्सर उसके उल्ट होता है। वो बचपन में परिवार, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से सीखी हुई रिश्तों की A, B, C, D अचानक से हम भूलने लगते है। ऐसा लगता है मानो जो जिंदगी हमनें पहले जी है वो अब वाली जिंदगी से तो मेल ही नहीं खाती। तो क्या को पहले सीखा वो सब बेबुनियादी था?
क्यों उस वक्त किसी ने ये नहीं सिखाया कि आगे की जिंदगी सिर्फ और सिर्फ समझोतो से भरी है।

दोस्तों कभी कभी हम ज़िन्दगी के उस मोड़ पर होते है, जहां ठहरना कुछ ज़रूरी सा हो जाता है और उस वक्त हमारे पास ये मौका होता है जब हम अपनी आंखों पर बंधी पट्टियां उतार सकते है, अपने आपको  झूठी तसल्लीयों की जो घुट्टी पिलाई होती है, उनकी उल्टियां कर सकते है, दूसरों की अच्छाइयों की जो परतें खुद पर चढ़ाई है उन्हे धो सकते है।।
क्या हुआ ? कुछ समझ नहीं आ रहा क्या, कोई नहीं मैं अभी समझा देती हूं।
दरअसल, आजकल हर चीज़ में मिलावट हो गई है, यहां तक कि लोगो ने रिश्तों को भी नहीं छोड़ा। अब ये बात हम सब को पता है लेकिन हम इसे हज़म नहीं कर पाते,, हां भई, करे भी तो कैसे? रिश्ते तो सबको चाहिए अब कोई अकेले कैसे जी सकता है।।
बस, यही से शुरू होता वो दौर खुद को झूठी तसल्ली देने का, अगर किसी ने दिल दुखाया तो हम सेकंड नहीं लगते खुद को ये बात समझाने में कि...उसने जान बूझ कर नहीं किया।
कोई धोखा दे ...तो उसकी कोई मजबूरी रही होगी।
कोई फायदा उठाए... तो कोई नहीं अगली बार नहीं करेगा।
कोई बर्बाद करने पर भी उतारू हो.. तो कोई नहीं भगवान देख रहा है।
फिर जब कभी इन सब से थक कर, किसी अंधेरी रात में किसी कोने में खुद को अकेला पाते है तब समझ आता है इन गलतफहमियों के साथ से तो अकेला रहना ज्यादा अच्छा है। तब समझ आता है जब मन ऊपर तक भर जाए, और बहुत अकेला महसूस हो , तो वो खुद को दी गई झुठी तसल्ली भी कोई राहत नहीं पहुंचा सकती...उस रात को जो समझ आता है उसपर ज़रा ग़ौर फरमाए:-


ज़िन्दगी तेरे रंगों से रंगदारी ना हो पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमने, मगर यारी ना हो पायी,
गुनाह तो किए बहुत दूसरों को आबाद करने के,
मगर अफसोस की किसी भी गुनाह से गिरफ्तारी ना हो पायी,
खुशियां हमनें भी बेशुमार लुटाई सब पर,
पर गलती से भी वो खुशियां हमारी ना हो पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमने, मगर यारी ना हो पायी।।
इम्तेहान बहुत दिए हमने, मगर कभी वो सफलता हासिल ना हो पायी,
ज़िन्दगी के इन मुश्किल इम्तिहानों की हमसे कभी तैयारी ना हो पायी,
मौके बहुत दिए कुछ शातिर दिमाग़ लोगों ने, हमें पास कराने के,
लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी हमसे किसी की "जी- हुजूरी" ना हो पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमनें, मगर यारी ना हो पायी।।
अपने उसूलों पर जिए हम, इसलिए किसी से गद्दारी ना हो पायी,
लोगो की तरह "बाहर से कुछ अंदर से कुछ" जैसी अदाकारी ना हो पायी,
जानते हैं जनाब, बहुत मुफलिसी में गुजारे है दिन हमने,
मगर फिर भी गुलाबी नोटों के लिए हमसे, किसी की गुलामी ना हो पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमनें मगर यारी ना हो पायी।
एक बार टूट जाने के बाद वो सुनहरे सपनों की कड़ी हमसे ना जुड़ पायी,
ओंस की तरह गिर तो गए किसी के लिए, मगर फिर भी ये ज़िन्दगी चमकता मोती ना हो पायी,
हां कभी सूखे पत्तों की तरह ठंड मिटाने को किसी की , जला तो दिया खुद को,
लेकिन चाह कर भी किसी के दिए की बाती ना बन पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमनें मगर यारी ना हो पायी।।
दूसरों को मुस्कुराने की वजह देते देते, ये ज़िन्दगी कभी अपनी गिरेबान में ना झांक पायी,
उस चांद को पाने की चाह में ये आंखें ठीक से कभी सो ना पायी,
सोचा था कभी कि एक दिन अपने लिए भी सब सहेज लूंगी,
लेकिन आज ज़रा ठहरी हूं कुछ पल के लिए तो समझ आया कि अपने लिए तो मैं कभी कुछ कर ही नहीं पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमनें मगर यारी ना हो पायी।।


रविवार, 8 नवंबर 2020

Be polite

हैलो फ्रेंड्स... पोस्ट पढ़ लो...
दोस्तो आपने बहुत बार सुना होगा कि 
Fate choose your relations,
You choose your friends..
ये लाइनें हम सब की ज़िन्दगी में बहुत सटीक बैठती है।। रोज रोज की इस भागमभाग में हम बहुत से लोगो से मिलते हैं और ये स्वभाविक है कि वो सब अलग अलग व्यक्तित्व के होते है। लेकिन उनमें से कई हमें इतना प्रभावित करते है जिसकी हमने पहले कभी कल्पना भी नहीं की होती ।
हां जानती हूं शायद आपको इस टॉपिक में कोई इंटरेस्ट ना हो लेकिन फिर भी मैं बोलना चाहूंगी :-
हाल ही में एक ऐसी शख्सियत से सामना हुआ, जिनका helpful nature मुझे ये सिखाने में कामयाब रहा कि हर इन्सान एक जैसा नहीं होता।
अगर आप किसी नए इन्सान से मिलते हो तो किसी और के बर्ताव के कारण उसे कड़वा मत बोलो।
क्योंकि ये बिल्कुल ज़रूरी नहीं कि किसी पुराने शख्स के बर्ताव से जो आपको परेशानी हुई है ,उसी तरह का बर्ताव आपको इस नए इन्सान से भी मिले।।
याद रखिए आपकी ज़िंदगी में जो भी इन्सान आता है, आपको कुछ ना कुछ सीख देकर जाता है लेकिन वो आप पर निर्भर है कि आप उसे सकारात्मक लेते है या नकारात्मक।।
तो अगली बार आप किसी से मिले तो पहले उसको observe करे, हो सकता है वो आपको जीवन जीने के तरीके और दूसरे के प्रति आपके नज़रिए को पूरी तरह बदल दे।
और हां आप अपने आप को भी इन लोगो में शामिल कर सकते हैं, लेकिन उससे पहले कुछ बातों पर ग़ौर करना होगा:-
1. मुस्कुराए:- इससे सामने वाला थोड़ा easy     feel करेगा।
2. अच्छा सोचें।
3. प्रशंसा करे।
4. विन्रम रहे। 
5. अपना 100 प्रतिशत दे।

Happy wali diwali

 Hi friends.... post padh lo...

 Wish you a very happy diwali friends..

हैरान मत हो... हां हां अगले हफ्ते ही है दीवाली ये तो बस इसलिए ताकि सब की दीवाली happy हो सकें, तो फिर सुनिए....

Vese kabhi socha hai ...ki ye happy diwali kya sabhi ke liye  "Happy " Hoti hai ..ya ase hi bol dete hai...

Actually nhi...

Happyyyy kha hai...uska to pta ni..but diwali unhi ki Hoti hai jinke apne unke saath hote hai.

Aajkal ki bhagambhag me sirf festivals hi ek kadi hai jo apno ko apno se jode rkhti hai...

Rhi "Happy" ki baat to diwali pr bhi ghr ke kuch kone sune rh jate hai...kyuki vaha diye to jala diye jate hai..Lekin unhe hawa se bchane wala koi nai hota..mithai  ke box wait krte hai us zid ka jo aapni fav. Mithai khane ke liye ki jati thi..khane ki khushboo har kone me jati hai..pr tarif krne wala koi ni hota..Rangoli ke rangon se ghr to khil jata hai Lekin...Dil ka koi Kona berang sa hota hai..

To aap hi btaye ki "Happy" kha hai...

Ye aapne aap nhi aayegi isko Lana padega...

Sirf diwali hi ni..har din apne apno ke liye ..unke saath guzarein..kyuki zindagi kuch mokka Baar Baar ni deti...bhar dijiye unki zindagi me rang jinhone rangon se aapki phchan krvayi...

Tab aap bhi Khushi se kh skoge "HAPPY DIWALI".

सोमवार, 2 नवंबर 2020

Plan B after A

 हैलो फ्रेंड्स.....( पोस्ट पढ़ लो) 😔😔


" काश हम से भी कोई तारे तोड़ने का वादा कर जाए, औेर लाकर चांद कोई हमारे आंगन में रख जाए,
अगर ना कर पाए ये खूबसूरत से कारनामे हमारे लिए कोई ....तो कह दो कि हमारी इस बेवजह की  उदासी का कारण ही ढूंढ़ लाए ।।"

जी हां, कभी कभी ज़िन्दगी में प्लान A काम नहीं कर पाता और फिर प्लान A से प्लान B तक पहुंचने के दरमियान जो समय लगता है सच कहूं तो कई बार वो समय हमारी हिम्मत तोड़ देता है।।
प्लान A के दौरान सपनों के जो घोंसले बनाए होते है हमने , उन्हें वो पक्षी लेकर फुर्ररर.... हो जाते है जो हमारे प्लान A की बुनियाद होते है ।।
आप सोच रहे होंगे की ये प्लान A और प्लान B क्या लगा रखा है मैने।
तो आप इसे ऐसे समझ सकते है कि कई बार हमने कुछ सपनों को हकीकत बनाने के लिए कुछ नई शुरुआत की होती है लेकिन कहीं कमी रह जाने के कारण वो अंजाम तक नहीं पहुंच पाती, फिर अनायास  ही कोई बिना मांगे ही ज्ञान दे जाता है कि अगर ऐसे नहीं हुआ , तो वैसे कर लो मतलब प्लान A ने काम नहीं किया तो प्लान B पर काम करो ।।
फिर दुबारा वो असमंजस का दौर शुरू हो जाता है कि ये करूं की वो करूं , ऐसे करूं या वैसे करूं।।
बस इस बीच को हमारे दिल का दिमाग़ होता है ना उसकी वॉट लग जाती है फिर शुरू होता है उस बेवजह की उदासी का दौर जिसका कारण ना हम ढूंढ़ पाते है और न ही कोई और हमारे लिए ये कर सकता है ।। बस कुछ समय के लिए दिल, दिमाग़ और शरीर एक दूसरे से लड़ रहे होते है और ये कैसे होता है चलिए देखते है :-
उदास था दिल आज और आंखें थी नम, 
परेशानी थी बस इतनी कि हमें मालूम ना था गम,
एक बार दिल चाहता है कि अपनी एक पहचान बनाऊं, 
और दूसरा पल कहता है कि दुनिया कि भीड़ में खो जाऊं,
कभी कभी दिल चाहता है ज़िन्दगी को हकीकत से जोड़ दूं,
और दूसरे ही पल कहती है आंखें क्या मैं सपने देखना ही छोड़ दूं,
चाहता है नया पल की नए रिश्ते बनाऊं,
और दूसरे ही पल दिल कहता है कि क्या पुराने रिश्ते भूल जाऊं,
कभी दिल चाहता है कि मैं चुप हो जाऊं,
और दूसरे ही पल कहते है होंठ की क्या मैं मुस्कुराना ही भूल जाऊं,
है ये कैसी दुविधा घिर आयी, एक तरफ कुंआ है और दूसरी तरफ खाई,
कभी कभी सोचती हूं कि ये दिल धड़कना बन्द कर दे,
पर दूसरे ही पल कहती है सांसें क्या हम चलना बन्द कर दें?
काश, कोई इस उदासी का हल ढूंढ पाए,
तो शायद ये दिल उदासी में भी हंसना सीख जाए ।।

रविवार, 1 नवंबर 2020

Raat ki khamoshi

                                                                     

रात की ख़ामोशी ....

हवा के हल्के झोंके...
तारों की थाल सा भरा आसमान....
और उनके बीच एक खूबसूरत सा चांद......

है ना बहुत मोहक नज़ारा लेकिन इस नजारे को मेरे शब्दों में सुनने से शायद  वो महसूस ना हो जो इस नजारे को अपनी आखों से देखने पर महसूस होगा।
लेकिन ये आपके नज़रिए और मूड पर निर्भर करेगा कि आप उसे कैसे देखते है ।।
अब दो इंसान एक सा तो नहीं सोच सकते ।आप मेरी इस बात को कुछ इस तरह समझ सकते है कि अगर कोई इंसान अच्छे मूड में है तो उसे ये रात की ख़ामोशी सुकून देने वाली होगी....हवा के हल्के झोंके इतराते हुए उसके बालों और गालों को सहलाते हुए से लगेंगे,
तारों से भरा थाल सा आसमान उसे और ज्यादा रोमांचक कर देगा । और उन तारों के बीच शर्माता हुआ वो खूबसूरत सा चांद उसे उसकी मेहबूबा सा लगेगा ...और फिर वो घंटो ऐसे ही बैठकर इस सुहानी सी रात को अंदर तक महसूस करना चाहेगा।। लेकिन वहीं दूसरी ओर अगर कोई इंसान बेचैन और परेशान सा हो उसे ये रात कैसी महसूस होगी उसको समझाने के लिए चंद लाइन है मेरे पास...उम्मीद करती हूं आपको पसंद आयेगी ...

ख़ामोशी है आज रात कितनी , पर फिर भी कुछ कहना चाहती है     

जैसे ज़िन्दगी कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह जाती है।।
ओंस की बूंद से भीग गई पत्तियां कितनी
पर फिर भी वो ओंस के आगोश में डूबना चाहती है
जैसे बर्फ ना चाहते हुए भी अपने ही पानी में घुल जाती है ।।
खामोश रात में फैली है तन्हाई कितनी 
फिर भी धड़कने गुनगुनाना चाहती है
जैसे मंदिर में दिए की जलती हुई बाती 
खुद को हवा से बचना चाहती है ।।
ख़ामोश है आज रात कितनी पर फिर भी कुछ कहना चाहती है
जैसे ज़िन्दगी कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह जाती है ।।


 

हैप्पी बर्थडे पापा

  पापा मेरी मां के अलावा वो पहले इंसान है, जिसने मुझे हमेशा महसूस कराया कि मैं कितनी ख़ास हूं । आपने मुझे हमेशा ऐसे रखा है, जैसे मैं कोई रा...