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सोमवार, 31 मई 2021

Fight with your "fear"

 Hello friends kaise hai aap log?

M aapki host aur dost haazir hu ek baar phir aapke liye kuch khaas lekr...

To chaliye shuru krte hai...aaj mein aapko apne personal experience ke baare me btati hu...

Aap decide kijiyega ki mein sahi hu ya glt.

So let's go...

aaj life ka ek bhut zabardaast fanda samjh aa gya

actually saari problems ka reason sirf ek word h "FEAR "

kuch logo ke liy seriously ye sirf ek word h but vo log society me is trh ke naamon se jane jate h --- pagal , unsenseble.,characterless  etc...

actually har insaan ek fear me h ...or har ek ke alg alg fear h

kisi ko society me value ka fear

kisi ko job or promotion ka fear

kisi ko kisi ke rejection ka fear

kisi ko garibi ka fear

kisi ko dosti tutne ka fear

kisi ko pyar khone ka fear...

or ek sabse bada fear maut ka fear

** ab ek sidha sa solution h ki agr kisi ne society me value khoyi h to kya hua....society har chiz ko sirf char din yaad rkhti h uske baad vi naya shikar dhundh leti h

**kisi n job khoyi to kya bhut kaam h is duniya meor job bhi

**kisi ek ne reject kiya to kya hua vo akela to nhi bacha h duniya me

**koi garib hai to kya hua...kam se kam sukun ki nind to aayegi bhle hi ek roti km khane ko mile

**kisi ne dost khoya to kya hua ...thoda polite ho jao phir dekho saari duniya tumhari dost h

**kisi ne pyar khoya to kya hua ...pyar ek bin moosam ki barsaat ki trh hota h--kbhi kbhi umeed ho to bhi nhi milta or kbhi bina umeed ke hum pr bars jata h

**or sabse bada fear " maut " to doston ye to ek din ayegi hi to darna kaisa

doston believe me,,control ur fear and live life in a uncontrollable manner -------it works definitely 

BE HAPPY ALWAYS

शुक्रवार, 28 मई 2021

मासूम दिल

 

हैलो दोस्तों.....कैसे है आप?

मैं आपकी होस्ट और दोस्त आज फिर हाज़िर हूं आपके लिए कुछ नया, और ख़ास लेकर, जो हर बार की तरह आपको और आपके दिल को ताज़गी से भर देगा।


तो दोस्तों आज हम बात करने वाले है उस छोटे बच्चे के बारे में जिसे हम समझाते तो बहुत है, लेकिन अक्सर उसकी जिद के आगे हमें अपने घुटने टेकने पड़ते है। कभी कभी गुस्सा भी आता है ,उसकी नजायज ज़िद पर, लेकिन अगले ही पल बहुत सारा प्यार भी आता है उसकी बचकानी हरकतों पर, कभी कभी खडूस बन जाता है, लेकिन सच मानिए बहुत मासूम है। 


जी हां, मासूम ही तो है हमारा दिल...!


आज हम जिसकी बात कर रहे है वो हमारा मासूम सा, छोटा सा, प्यारा सा दिल है। दोस्तों, जानती हूं बहुत जिद्दी है, लेकिन यकीन मानिए एक छोटा बच्चा है,और हम सब को इसका बच्चो सा ही ध्यान रखना चाहिए। 


तो चलिए जो हमसे कुछ ज्यादा नहीं मांगता, जो सिर्फ ये चाहता है की हम अपनी ईच्छाओं को मारे ना, बल्कि उनके साथ हर पल को जी ले, आखिर वो क्या चाहता है,उसे क्या अच्छा लगता है, क्यों इतना जिद्दी है, उसके बारे में जानते है:


आप मानो या ना मानो... लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा घुम्मकड़ हमारा दिल है । मिनटों में ना जाने कहां कहां घूम आता है।

कभी जब बारिश से सब सराबोर होता हैै, तब अचानक से ये गाड़ी लेकर खुली सड़क पर दूर तक निकल जाता है।।

फिर अगर इसे कोई रोक पता है तो वो है एक प्याली अदरक वाली गरम सी चाय और गरम गरम स्पाइसी सी मैगी.... फिर भी जब तक बारिश बन्द ना हो तब तक ये वापिस घर को नहीं आ सकता ।।

कभी कभी भरी दुपहरी में आइस क्रीम खाने के लिए ये मीलों की दौड़ तय करके उस साइकिल वाले तक पहुंच जाता है...जिसकी गोले वाली आइस क्रीम के लिए बहुत बार पनीर को भी रिजेक्ट किया है इसने...🙂

कभी कभी जब बादलों पर दूर तक धूप दिखाई नहीं देती तो ये मचल जाता है...और पहुंच जाता है फिर से उन बचपन के झूलो पर,फिर घंटो उन पर बैठ कर वो उन सारे दिनों की यादें समेटने लग जाता है..जो अब कभी वापिस नहीं आ सकते।।😔☹️

कभी कभी एक थका देने वाले दिन के बाद भी ये अपने आप रसोई की तरफ बढ़ जाता है... और फिर ढेर सारी मटर डालकर पुलाव बना लेता है... हां😒...मां जैसा स्वाद तो नहीं ला पता लेकिन बना लेता है...और खुद को ये एहसास दिला देता है कि ये अभी भी वो बच्चा है जो बचपन में कुकर की सीटी के साथ आने वाली खुशबू से अंदाजा लगा लेता था कि मां ने पुलाव बनाया है ।।🤗


जब कभी रात को नींद आने में आनाकानी करती हैं तो ये भी अपनी कुछ अधूरी ड्रीम डेस्टिनेशन पर निकल पड़ता है...

कभी पूर्णिमा के दिन ताजमहल का रात का नज़ारा देख आता है तो कभी बिना बताए ही धार्मिक हो जाता है ... और पहुंच जाता है गंगा आरती के लिए घाट पर ।।।🌌


कभी कभी जब रोजमर्रा की जिंदगी से ऊब जाता है तो बैग पैक कर निकल जाता है शिमला.... तो कभी मनाली...

और कभी कभी तो जनाब इंटरनेशनल टूर भी कर आते है ।।

अभी पिछले हफ्ते ही आए जनाब स्विट्जरलैंड से,अब इनको डर थोड़ी ही है किसी वायरस का🙊


जब कभी थकान होने लगे लोगों के दोगलेपन से... जब कभी पाला पड़े मतलबी लोगों से... या रिश्ते कभी बिना गलती के सज़ा देने लगे...तब भी वो चल पड़ता है मां के पास, उसकी गोदी में जहां बचपन में जाते ही सारी तकलीफ़ सारे दर्द ख़तम हो जाते थे ।।


अभीकल की ही तो बात है.... जनाब पहुंच गए मां के पास...


बहुत थका दिया मां को..ये बनाओ वो बनाओ..ये चाहिए वो चाहिए... यहां जाना है वहां जाना है... गोदी ले लो...गले लगा लो.... लोरी सुना दो


वो सब करो जो तुम पहले किया करती थीं ।।


जानती हूं थोड़ा ज़िद्दी है... मुझे समझना चाहिए इसे... लेकिन मै नहीं समझाऊंगी इसे..और ना ही ये सब करने से मना करूंगी😊


करने दो ना यार जो करना चाहता है...बच्चा है अभी ...और वैसे भी ये जो कर सकता हैं मुझे नहीं पता कि मैं कभी कर पाऊंगी या नहीं।।


और मैं तो कहती हूं आप भी कर लेने दो इसे इसके मन की,


क्या पता ये खुद जीते जीते आपको भी जीना सीखा दे।।🤗🤗








Show quoted text


बुधवार, 26 मई 2021

दालचीनी के फायदे

हैलो दोस्तों कैसे है आप?
मैं आपकी होस्ट और दोस्त एक बार फिर हाज़िर हूं एक नए विषय के साथ, एक नई उपयोगी जानकारी के साथ, तो दोस्तों आज हम बात करेंगे "दालचीनी" के बारे में। इस उपयोगी और लाभकारी मसाले एवम् औषधि से आप लोग भली भांति परिचित होंगे।
आज हम इसके जिन घटकों के बारे में बात करेंगे वे कुछ इस प्रकार होंगे:
✓दालचीनी क्या है?
✓दालचीनी के क्या फ़ायदे है?
✓दालचीनी के सेवन के नुकसान क्या है?

तो और अधिक समय न लेते हुए हम शुरू करते है:
दोस्तों दालचीनी का पेड़ एक सदाबहार पेड़ है। इसकी उत्पत्ति श्रीलंका में हुई थी। इसके पेड़ की ऊंचाई लगभग 18 मीटर तक हो सकती है। इसके पेड़ की अंदरूनी छाल से मसाले एवम् औषधि का निर्माण किया जाता है। इसके पत्तों का भी मसाले बनाने में उपयोग होता है। यह आकार में गोल तथा भूरे लाल रंग की होती है।
दाल चीनी की तासीर गर्म होती है,और यह वात एवम् कफ दोष को नियंत्रित करती है।
दोस्तों भारतीय परिवारों की रसोई में ये मसाला बहुत आसानी से मिल जाता है। इसको खाने का स्वाद बढ़ाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
यह साफ एक मसाला नहीं है बल्कि इसका उपयोग औषधि बनाने में भी किया जाता है।
तो आइए जानते हैं इसके फायदे:

1. मधुमेह रोगियों के लिए हितकर:
 यह मधुमेह के रोगियों के लिए वरदान से कम नहीं है। यह शरीर में इंसुलिन की प्रतिक्रिया को बढ़ाता है तथा शुगर के स्तर को सामान्य बनाए रखता है।

2. दिमाग़ की कार्य क्षमता बढ़ाता है:
अनेक शोधों से यह साबित हुआ है कि दालचीनी के सेवन से दिमाग की कार्य क्षमता बढ़ती है।

3. कैंसर से बचाता है:
जी हां, दाल चीनी पर हुए शोध हमे बताते है कि यह हमें कैंसर से भी बचाता है। यह कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।

4. कैल्शियम तथा मैगनीज का अच्छा स्रोत:
दाल चीनी फाइबर, कैल्शियम, तथा मैगनीज का अच्छा स्रोत होने के कारण पेट की बीमारियों की रोकधाम में सहायक है।

5. रक्त संचार को सामान्य रखती है:
दाल चीनी का इस्तेमाल शरीर में रक्त संचार को सामान्य करता है । कौमारिन नामक यौगिक के कारण इसमें खून को पतला करने के गुण है।

6. मानसिक रोग को दूर करता है:
दाल चीनी एंटी इंफ्लेमेट्री होती है, जिससे यह दिमाग़ के आंतरिक उतकों में होने वाली सूजन को कम करती है।

7. मुंहासों से छुटकारा:
दाल चीनी चेहरे एवम् शरीर पर होने वाले दानों और मुंहासों से छुटकारा दिलाती है। हालांकि इसका इस्तेमाल लेप बना कर करना चाहिए, इसको सीधा त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए।

8. मासिक धर्म को नियंत्रित करती है:
महिलाओं को मासिक धर्म खुल कर न आना, अनियमित मासिक धर्म जैसी समस्याओं से दाल चीनी बहुत जल्द राहत दिलाती है।

9. ओवुलेशन को सहारा देता है:
दालचीनी का निश्चित और नियमित सेवन महिलाओं को ओवुलेशन को सहारा देने में मदद करता है, तथा इसकी सहायता से उनको गर्भ धारण करने में सहूलियत होती है।

10. पुरुषों में शुक्राणु की संख्या बढ़ाने में सहायक:
इसके निश्चित और नियमित सेवन से पुरुषों में शुक्राणु की संख्या बढ़ती है तथा उनकी गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

✓ इसकी निश्चित मात्रा से अधिक सेवन करने से इसके कुछ नुकसान भी है जैसे:

1. निश्चित मात्रा से अधिक और लंबे समय तक इसका उपयोग करने से सिर दर्द की समस्या हो सकती है।

2. इस का सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए, इससे उन्हें पेट संबंधित समस्या हो सकती है।

3. गर्भवती महिलाओं के इसके सेवन से गर्भ गिर सकता है, तथा मिसकैरिज जैसी स्तिथि भी उत्पन हो सकती है।

तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही, फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ, तब तक आप सब अपना और अपनों का ख्याल रखिए।
शुक्रिया!!



मंगलवार, 25 मई 2021

शतावरी के फायदे

हैलो दोस्तों, कैसे है आप?
 आशा करती हूं आप सब अपने घरों में सुरक्षित होंगे ।
"भगवान हर जगह नहीं हो सकते थे,
इसलिए उन्होंने मां को बनाया।।"
ये जुमला बहुत बार सुना होगा आपने, लेकिन एक लड़की को मां बनने की इस प्रक्रिया में बहुत सारे चरणों से गुजरना पड़ता है। राहें कभी कभी बहुत मुश्किल होती है, इस सफ़र की। बहुत सारी ऐसी समस्या आ जाती है,जिनकी वजह से इस पड़ाव पर पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन हर मुश्किल का हल होता है, और आज हम उसी के बारे में बात करेंगे, जो महिलाओं के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी है:
जी हां "शतावरी" ये वही है जो महिलाओं की सारी समस्याओं का एक मात्र हाल है। बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते होगें। तो चलिए फिर शतावरी के बारे में और इसके फायदों के बारे में जानते है:-
दोस्तों, शतावरी एक जड़ी बूटी है,जो बेल के रूप में पाई जाती है। इसकी बेल में जड़े होती है, इसकी एक बेल के नीचे कम से कम 100 जड़े होती है तथा इनकी लंबाई 100 सेंटीमीटर तक हो सकती है।
शतावरी को कुछ लोग शतावर नाम से भी जानते है। महिलाओं के लिए यह एक चमत्कारी जड़ी बूटी है। वैसे तो ये कई रंगों में पाई जाती है, लेकिन ज्यादातर ये सफ़ेद रंग में देखने को मिलती है। इसकी जड़ों को और पत्तियों को उपयोग में लाया जाता है। इसको पाउडर, जूस तथा गोलियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
तो हम और समय न लेते हुए बात करते है इसके फायदों कि:
✓ शतावरी गर्भधारण में किस प्रकार सहायक है?
1. यह महिलाओं के शरीर हार्मोन के स्तर को संतुलित करता है।
2. महिलाओं में कामेच्छा को बढ़ाता है, जिससे वे तनाव महसूस नहीं करती।
3. मासिक धर्म के कारण महिलाओं को होने वाले दर्द से राहत दिलाती है।
4. हार्मोन्स असंतुलन के कारण कई बार गर्भ धारण नहीं हो पाता, इसके लिए शतावरी का उपयोग बहुत लाभ दायक है।
5. अगर किसी महिला को पीसीओडी, पीसीओएस, वैजिनल इंफेक्शन, यूरीन इंफेक्शन जैसी समस्या है तो उन्हें शतावरी का उपयोग करना चाहिए। इससे उन्हें जल्दी ही भूत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
6. महिलाओं को कई बार सर्विकल म्यूकस ना बन की समस्या का सामना भी करना पड़ता है, जो गर्भ धारण ना होने का एक बड़ा कारण है, तो इसके लिए वो शतावरी का उपयोग जूस, पाउडर, या गोलियों के रूप में कर सकती है तथा इस समस्या से राहत पा सकती है।
7.जिन महिलाओं के स्तन विकसित नहीं होते उन्हें भी शतावरी का उपयोग करना लाभकारी होता है।
8. कई बार गर्भ धारण के समय महिलाओं को कब्ज जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है, शतावरी का नियमित सेवन उन्हे इससे राहत पहुंचाता है।
9. महिलाओं के स्तनों में दूध न बनने की समस्या आज कल आम है, तो इसके लिए उन्हें शतावरी पाउडर के साथ थोड़ा सा जीरा पाउडर मिलाकर सेवन करना चाहिए।

✓ शतावरी सौंदर्य निखारने में भी उपयोगी
1. यह एंटी एजिंग के रूप में कार्य करती है।
2. इसको मैनीक्योर, पेडिक्योर करवाते समय भी इस्तेमाल किया जाता है।
3. शतावरी को दूध को दूध में मिलाकर फेसपैक की तरह इस्तेमाल करने से मुंहासों से भूत जल्द छुटकारा मिल सकता है।
4. इसको घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।
5. शतावरी का सेवन आपको सूर्य की किरणों से होने वाले टेन से बचाता है।
6. त्वचा की कसावट को बनाए रखने के लिए एक ग्लास दूध के साथ इसका सेवन करे।

✓शतावरी बालों के लिए भी फायदेमंद
1. बालों की मजबूती के लिए अश्व गंधा तथा शतावरी पाउडर को दूध में मिलाकर इसका सेवन करने से लाभ होता है।
2. बालों को चमकदार बनाने के लिए आंवला पाउडर और शतावरी पाउडर का लेप बनाकर बालों के लगाना चाहिए।
3. शतावरी के सेवन से, इसके लेप को बालों में लगाने से डैंड्रफ जैसी समस्या से जल्द छुटकारा मिलता है।

तो दोस्तों, आज के लिए इतना ही, फिर मिलेंगे एक नए और उपयोगी विषय के साथ।
तब तक आप लोग अपना और अपनो का ख्याल रखिए।
शुक्रिया।।

गुरुवार, 20 मई 2021

सिक्के के दो पहलू

हैलो दोस्तों....आज उन बातों को लिखना चाहूंगी जो अक्सर हमारे बड़े हमें समझाया करते है... उन बातों के ज़रिए वो समाज से हमारा परिचय करवाते है, भगवान के अस्तित्व को हमारे सामने जीवंत करते है... वो हर संभव कोशिश करते हैं कि हम समाज में, भगवान में अपनी आस्था बनाए रखे। ताकि हम एक जिम्मेदार नागरिक बन पाएं। अपने आप को हर पल साकारात्मक रखें।
लेकिन उस गुढ़े गुड़ियों से खेलने की उम्र में हम वो सब मान लेते है क्योंकि हमें जो सिखाया जाता है उसकी के इर्द गिर्द हम अपनी दुनिया बसा लेते है।
वो दौर बहुत खूबसूरत होता है क्योंकि जब हम एक तरह से "ट्रेनिंग पीरियड" में होते है।
लेकिन जब ये ट्रेनिंग पीरियड खत्म होता है... तब इस दुनिया का असली चेहरा धीरे धीरे हमें समझ आने लगता है...
और तब वो सिलसिला शुरू होता है जब हमें अपनों की बताई हुई, सिखाई गई बातों में और दुनिया की हकीक़त में सामंजय बैठान होता है... जो कहीं किसी मोड़ पर जाकर हमें परेशान करने के अलावा कुछ नहीं देता... 
तो चलिए देखे कि उस वक्त क्या होता है जब एक छोटी बच्ची को दुनिया की रास लीला समझ आने लगती है:-
मां तुम अक्सर मुझे समझाया करती थी,
की बुरे लोगो के साथ सिर्फ बुरा होता है,
लेकिन तुमने ये कभी नहीं बताया कि अब ज़माना बदल गया है, और जमाने के कुछ नियम भी,
अब सिर्फ और सिर्फ "अच्छे लोगो" के साथ बुरा होता है।।

वो पड़ोस की आंटियों अक्सर मुझसे कहती थी, कि बहुत सुंदर हो तुम, तुम्हें किसी और चीज़ की जरूरत नहीं पड़ेगी,
लेकिन उन्होंने भी सच छुपाया मुझसे, कभी ये कहा ही नहीं,
कि ये दुनियां बहुत मतलबी है, और आगे भी ये सिर्फ मतलब से ही चलेगी।।

पापा मुझे अक्सर बताते थे कि वो ऊपर बैठा नीली छतरी वाला सब देखता है,
वो किसी के साथ कुछ भी गलत नहीं होने देता,
लेकिन मां अब शायद उस नीली छतरी वाले का ट्रांसफर हो गया है,
क्योंकि जो अब वह बैठा है वो तो सिर्फ धोखेबाजों का साथ देता है।।

मां तुम अक्सर मुझसे कहा करती थी, कि हर सिक्के का दूसरा पहलू ज़रूर होता है, और हमें वो दूसरा पहलू भी देखना ज़रूरी होता है,
लेकिन मां तुम समझती नहीं हो, ये इंटरनेट का ज़माना है,
यहां वो दूसरा पहलू छोड़, इस सिक्के पर भी किसी की नज़र पड़ जाए इतना ही काफ़ी होता है।।

तुम समझाती थी मुझे अक्सर कि जिंदगी को हमेशा आगे का सोचकर जीना होता है,
लेकिन मां क्या तुम्हें नहीं लगा कभी कि आज अभी बस इस पल को जी लेना काफ़ी होगा,
क्योंकि अक्सर मैंने लोगो को कहते सुना हैं कि "कल" का दूसरा नाम "संदेह" होता है।।
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कुछ और हकीकतों के साथ आगे भी जारी रहेगा।।




बुधवार, 19 मई 2021

सपने

 सपने देखना ही काफी नहीं होता ... आंखों के बन्द अंधेरों से निकलकर उन्हें बाहर की धूप , छाव और बारिश से रूबरू करना पड़ता है ।।

बहुत से लोग अपने सपनो को नहीं जी पाते...क्योंकी वो अपने डर को जी रहे होते हैं

रविवार, 16 मई 2021

"मासूमियत"

हैलो फ्रेंड्स कैसे है आप सब..?
दोस्तों कभी कभी यूंही बैठे बैठे हम याद का हाथ थामे बहुत पीछे चल जाते है... जहां ज़िंदगी बहुत हसीन हुआ करती थी।
आज यूंही बैठे बैठे वो समय याद आ गया जब हम उस दौर को जिया करते थे, जिसमे लोग एक दूसरे की मदद के लिए हर समय तैयार रहते थे, एक का दर्द दूसरे के आंसू निकलवाने के लिए काफी होता था, एक की खुशी सब को नचाने के लिए काफी होती थी, एक का हक कभी दूसरा लेने की कोशिश नहीं करता था। वो ढेर सारा अपनापन, वो एक साथ चलने वाले संस्कार, वो किसी को नीचा ना दिखाने वाली सोच... कितने खुशनुमा सफ़र में थे हम..! मैं जानती हूं और आप सब लोग भी जानते है की परिवर्तन संसार का नियम है। कुछ समय बाद परिस्थितियां बदल ही जाती है। लेकिन एक सच ये भी है कि कुछ परिवर्तन हम स्वीकार नहीं कर पाते। लेकिन कुछ भी हमारे लिए नहीं रुकता, और वो दौर भी बीत गया जहां "मासूमियत" सिर्फ "मासूमियत" हुआ करती थी।
कभी कभी लगता है कि हम कहां से कहां आ गए, ऐसा क्या पाना था हमें जो वो मासूमियत भरा दौर हमें पीछे छोड़ना पड़ा। और आज जब हम सब पिछे छोड़ ही आए है तो फिर क्यों दुबारा उसी दौर में मन बार बार जाना चाहता है। 
दरअसल दिल तो आज भी बच्चा है जिसे सिर्फ अपनापन, प्यार, ढेर सारे अपनेपन वाले रिश्ते, और उस दौर वाली मासूमियत ही समझ आती है.. आज इस दौर को ये दिल समझ ही नही पाता.. जिसमे सिर्फ और सिर्फ मतलब छुपा है। तो चलिए फिर कुछ पंक्तियां के माध्यम से जान लेते है कि ये दिल क्यों बार बार उस दौर को याद करता है और इस दौर से निकल जाना चाहता है:-

आजकल कौन किसको बेवजह गले लगाता है,
मतलब निकल जाए तो हर शख्स बदल जाता है,
तुम कौन से भ्रम में हो जनाब,
हम उस दौर में जी रहे है, जहां "मासूमियत"  को बेवकूफी कहा जाता है। 

अपनी बेपरवाहियों को बड़ी आसानी से मजबूरियों का नाम दे दिया जाता है,
किसी के कुछ हसीन किस्सों को बेवजह ही कहानियों में बदल दिया जाता है,
तुम तो चीज़ ही क्या हो जनाब, यहां दुआएं पूरी न होने पर भगवान तक को बदल दिया जाता है,
यकीनन, हम उस दौर में जी रहे है, जहां "मासूमियत" को बेवकूफी कहा जाता है।

किसी से कुछ लेकर उसे कहां वापिस लौटाया जाता है,
प्यार की आड़ में यहां दिलो से खिलवाड़ किया जाता है,
किसी की आपबितियों को यहां खामोशियों के हवाले कर दिया जाता है,
यकीनन, हम उस दौर में जी रहे है, जहां "मासूमियत" को बेवकूफी कहा जाता है।

किसी की मेहरबानियो को, चालाकियों से नोंच लिया जाता है,
झूठों की इस दुनियां में, सच बेचारा कहीं दब कर रह जाता है,
उड़कर कोई चाहे अगर, उस नीले आसमान को छूना, तो उसके अपनों द्वारा ही उसके पंखों को कतरा जाता है,
यकीनन,हम उस दौर में जी रहे है, जहां "मासूमियत" को बेवकूफी कहा जाता है।

कोई छूले आसमान अपनी जिद से तो, उसको बड़ी तेज़ी से नीचे खींच लिया जाता है,
फिर उसकी रात दिन की मेहनत को, क़िस्मत के हवाले कर दिया जाता है,
दुबारा कभी वो उठ खड़ा ना हो, इसके लिए उसे सबकी नज़रों से गिराया जाता है,
तुम कौन से भ्रम में हो जनाब,
हम उस दौर में जी रहे है, जहां मासूमियत को बेवकूफी कहा जाता है।
 





शुक्रवार, 14 मई 2021

मोहब्बत कर ली जाए !

हैलो दोस्तों कैसे है आप....
मैं मानती हूं कि आज देश में महामारी ने एक विकराल रूप ले लिया है.. हमारे आस पास बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने इस महामारी के चलते अपने अपनो को खो दिया है। दोस्तों, जो हो गया उसे तो बदला नहीं जा सकता लेकिन हम सब को समझदारी से काम लेना होगा। अपने आप को ये समझना होगा कि सब ठीक हो जायेगा...बुरा समय ज्यादा समय तक नहीं रहता। लेकिन इस बुरे समय को भी हम अच्छे समय में बदल सकते है। इन परिस्थितियों के चलते पूरे देश में लगभग हर राज्य में लॉकडाउन लगा हुआ है...ऐसे में जब हम सब अपने घरों में है तो फिर पूरी तरह से घर के ही क्यों न बन जाए ? अपने अपनो के साथ समय बिताए, उनके साथ वो सब करे जो आप भागमभाग में अक्सर भूल जाया करते थे। हम सब को अक्सर ये शिकायत होती थी, कि काम की वजह से हमें समय ही नहीं मिलता की हम अपने प्रियजनों के साथ थोड़ा वक्त बिताए, अपने दिल की कहे, उनकी सुने।
तो देखिए अब आपके पास वो समय है तो इसको बर्बाद मत कीजिए। अपने अपनो के साथ समय बिताए और इन पलों को यादगार बनाएं। याद रखिए कितनी ही बुरी परिस्थिति क्यों न हो अगर हमारे अपने हमारे साथ है तो सब कुछ आसान हो जाता है ।
तो चलिए फिर आज मैंने भी किसी अपने के लिए कुछ लिखा है ज़रा गौर फरमाएं और अच्छा लगे तो मुझे कमेंट करके ज़रूर बताइएगा:

खो जाए हम सपनों में, या आज नींद को छुट्टी दे दी जाए,
नज़र झुका लें शर्माकर, या खुद को शीशे में देख लिया जाए,
बेरोजगार बैठे है आजकल हम, तुम कहो तो तुमसे मोहब्बत कर ली जाए।।

रोटियां तो तुम रोज़ ही खाते हो, तो क्यों न आज वो तुम्हारे वाली चाउमिन बनाई जाए,
या लेकर तुमको साथ किचन में, तुम्हारे वाला वो टेस्टी पिज्जा ट्राई किया जाए,
वो सुबह पहली चाय में तुम्हारी, क्यों न आज थोड़ा प्यार मिलाया जाए,
बेरोजगार बैठे है आजकल हम, तुम कहो तो तुमसे मोहब्बत कर ली जाए।।

रोज़ की इस भागदौड़ वाली जिंदगी से , तुम्हारे लिए फुरसत चुरा ली जाए,
फिर किसी शाम सुहानी में , कुछ वक्त तुम्हारे साथ बिताया जाए,
लफ्जों को फिर करके किनारे, खामोशियों को क्यों ना एक मौका दिया जाए,
बेरोजगार बैठे है आजकल हम, तुम कहो तो तुमसे मोहब्बत कर ली जाए।।

देकर तुमको हंसी वो प्यारी, तेरी आंखों की आज नमी चुरा ली जाए,
सारी मुश्किलों को तेरी आज, फिर ऊंची आवाज़ में धमकाया जाए,
लेकर हाथ तेरा हाथों में, वादों की फिर रस्म निभा ली जाए,
बेरोजगार बैठे है आजकल हम, तुम कहो तो तुमसे मोहब्बत कर ली जाए।।

समझदारी से हम काम लें या वो बचपन वाली शरारत कर ली जाए,
बेपरवाह हो जाए या फ़िर इन लम्हों को अहमियत समझी जाए,
बेचैनियों के लंबे दौर को आज, थोड़ी राहत बक्श दी जाए,
 बेरोजगार बैठे है आजकल हम, तुम कहो तो तुमसे मोहब्बत कर ली जाए।।



मंगलवार, 11 मई 2021

दिल की बुरी नहीं हूं मैं

हैलो दोस्तों, कैसे है आप.. 
आज कुछ स्कूल के उन दोस्तों के नाम जिनके लिए "मै चाय जैसी थी..किसी को बहुत पसंद और किसी को बिल्कुल नापसंद"
दुनिया में हर तरह के लोग होते है...और हमें इनकी वैरायटी तब मिलना शुरू हो जब हम अपना पहला कदम स्कूल में रखते है। वहां हर तरह के बच्चे होते है... पहले पहले तो सब ठीक होता है लेकिन चीज़ें वहां से बदलना शुरू हो जाती है, जहा दूसरे बच्चों को आपके गुण और दोष पता लग जाते है।
फिर सिलसिला शुरू होता है पसंद और न पसंद का, अब इसमें एक आसान सा गणित है की जो बच्चा जैसा होगा उसको वैसे ही बच्चे पसंद आयेंगे।
हम इंसानों में एक बहुत बुरी आदत होती है.. की हम हर दूसरे इंसान से खुद की तुलना करने लगते हैं और फिर जिस सांचे में हम फिट नहीं बैठते उससे हम कटना शुरू हो जाते है मतलब उसे दूर होने लगते है। इसको हम ऐसे समझ सकते है...अब अगर कोई नया बच्चा क्लास में आए और वो इंटेलिजेंट हो तो पहले वाले पढ़ाकू बच्चे उससे चिड़ने लगते है क्योंकि उन्हें ऐसा लगने लगता है की अब उनकी सत्ता छिन जाएगी। फिर वो बच्चे अपने मन की भड़ास निकालने के लिए उस नए बच्चे को बहुत सारे नाम दे देते है, जैसे:- घमड़ी, सडू, अकंडू, अड़ियल, सेलफिश और न जाने क्या क्या...?
हालांकि इससे कोई ख़ास फ़र्क नही पड़ता लेकिन उन बच्चो को आत्मसंतुष्टि हो जाती है। लेकिन वो जो नया बच्चा है उसके लिए ये थोड़ा अजीब होता है... बहुत असहज महसूस होता है लेकिन थोड़े टाइम बाद आदत पड़ जाती है, या यूं कह लो की वो अपने आपको उस माहौल में ढाल लेता है।
ये सब मेरा व्यक्तिगत अनुभव है... ऐसा मेरे साथ अक्सर हुआ है, हालांकि मैं भी जानती क्यों...क्योंकि मैं तो इंटेलिजेंट भी नहीं थी.. लेकिन आज कुछ उन सब लोगो के लिए जो मुझे ऐसा समझते थे लेकिन "I was not like that" तो गौर फरमाइए:
"दिल की बुरी नहीं हूं बस लफ्जों में थोड़ी शरारत लिए फिरती हूं,
भावुक भी हूं थोड़ी मैं, और बहुत ज्यादा ज़िद्दी हूं,
कभी खिलखिलाकर मुस्कुराती हूं, तो कभी बिना बात के ही रो देती हूं,
मैं खुद को खुद मैं खोकर अपनी तलाशी किया करती हूं,
दिखावे वाली इस दुनिया में थोड़ी सादी सी और सिंपल हूं,
हां पर किसी की खुशी के लिए कभी कभी एक छोटी बिंदी लगाया करती हूं,
कभी कभी पलकों को झुकाएं, मैं थोड़ा सा शर्माती हूं,
पायल की इस झंकार से मैं अपने गीत मिलाया करती हूं,
हां लेकिन दिल की बुरी नहीं हूं बस लफ्जों में थोड़ी शरारत लिए फिरती हूं।
सुहानी सी काली रातों में मैं सपनों को अपने बुनती हूं,
कभी कभी फिर सपनों में मैं पंख लगाए उड़ती हूं,
कभी जो मिल जाए मनपसंद सी चीज़ कोई,
तो फिर मैं बच्चो सी उछलती हूं,
जिंदगी की रंगीन शाम में फिर मैं जुगनू सी चमकती हूं,
कर पाऊं अगर किसी के लिए कुछ मैं,
तो फिर सर्दियों वाली सुनहरी धूप सी मैं खिलती हूं,
जिंदगी की इस कश्ती में मैं फिर डूबकर भी तैर जाती हूं,
कभी खुद को देखूं आईने में कभी मैं, तो कभी मेहंदी वाले हाथ से आखें ढकती हूं,
कभी कभी फिर मैं अपने लिए थोड़ा सजती और संवरती हूं,
हां लेकिन, दिल की बुरी नहीं हूं बस लफ्जों में थोड़ी शरारत लिए फिरती हूं।।
बच्ची हूं आज भी थोड़ी मैं, पर थोड़ी समझदारी भी लिए फिरती हूं,
रिश्तों की उस मजबूत डोर को आज भी मैं कस के पकड़ती हूं,
आज भी कभी कभी मैं अंधेरों से डरती हूं, 
पूरे करने है जो सपने , उनकी मैं लंबी लिस्ट बनाए फिरती हूं,
आज भी उस तारों के शहर की चाहत लिए मैं, रातों को भी जगती हूं,
हां लेकिन  दिल की बुरी नहीं हूं बस लफ्जों में थोड़ी शरारत लिए फिरती हूं।।






 

शनिवार, 8 मई 2021

ज़िम्मेदारी

"मां" हां ये वही है जिसको सुनते ही एक 60 साल का बुजुर्ग व्यक्ति भी अपने आप को छोटा बच्चा महसूस करने लगता है। दरअसल ये शब्द ही इतना ज्यादा प्यारा है सब को कि कभी हम कुछ हो तो भी सब से पहले मां शब्द ही निकलता है मुंह से..और हम परेशान हो, दर्द में हो तब भी मां ही सबसे पहले याद आती हैं।।

"वो किसी ने कहा है ना कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते थे इसलिए उन्होंने मां को बनाया"
बिल्कुल सही कहा है, जिंदगी में सब कुछ हो और मां ना हो तो सब अधूरा सा हो जाता है। मां है तो दुनिया की सारी खुशियां हमारी हो जाती है।
आज भी हमारे बीच कुछ लोग है जो अपने मां पापा को इज्जत नहीं देते..उन्हे वो मान सम्मान नही देते जिनके वो हकदार है। बहुत ज्यादा गुस्सा, बुरा व्यवहार, और अत्याचार करते है वो अपने मां पापा पर... उनको लगता है कि उन्होंने उनके लिए कुछ नहीं किया और अगर किया भी है तो वो उनकी ड्यूटी थी।। सच मे कितने बेवकूफ़ है वो.. जिस चीज को वो ड्यूटी समझते है वो उनकी ममता होती है और रही बात ड्यूटी की तो ...फिर कुछ ड्यूटी बच्चो की भी तो होती है... तो क्या वो उन्हें पूरा कर रहे हैं, अगर इसका जवाब मिल जाए तो खुद सोचना कि उन्होंने अपने मां पापा के लिए क्या किया है?

मै सिर्फ़ इतना ही कहना चाहती हूं ऐसे लोगो से की जिनके साथ तुम रह रहे हो ना, जिन्होंने तुम्हे चलना सिखाया है, कंधे पर बैठा कर दुनिया दिखाई है, वो सिर्फ़ मां बाप नहीं हैं .. वो भगवान है। तुम खुशनसीब हो जो यही उनके दर्शन हो गए। इसलिए उन्हें वो सब दो जिसके वो हकदार है। आज का ये लेख उन लोगो के लिए ख़ास तौर पर लिखा गया है जिनको अपने मां बाप की कोई अहमियत समझ नहीं आती। हर पल उन्हें सिर्फ यही लगता है की उनके मां बाप उनके लिए जो कुछ भी कर रहे है वो कोई अहसान नहीं है बल्कि ये तो उनकी ड्यूटी है जो हर मां बाप करते है। 
बहुत नासमझ है वो लोग जिनको कभी समझ ही नही आता कि मां बाप भगवान का दिया हुआ वो तोहफ़ा होते है, जो सब के नसीब में नहीं होते। इसलिए इनके लिए हम जितना करे उतना कम है।


ये मेरी एक कोशिश थी उन लोगो को समझने की जिनको मां बाप सिर्फ और सिर्फ अपने ऐशो आराम का साधन लगते है। अगर अभी भी कुछ लोगो को समझ नहीं आया तो मैं कुछ पंक्तियों के माध्यम से एक कोशिश और करना चाहूंगी। तो गौर फरमाएं शायद समझ आ जाए:-

एक छोटा सा घर है हमारा, मगर उसे बनाने में खूब पसीने बहाए है,
चूल्हे की आंच पर रोटियां पकाते हुए, कई बार मां ने अपने हाथ भी जलाए है,
ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

दो समय की रोटी के लिए, मां ने कई दिन सिर्फ पानी पीकर बिताए है,
बच्चे भूखे ना सो जाए इसलिए भारी भारी बोझ भी उठाए है,
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

बहुत मुश्किल था वो दौर, उस दौर में शायद ही दो पैसों की बचत हो पाए, लेकिन  फिर भी जैसे तैसे करके मां ने वो बचाए है,
मेरे बच्चो का भविष्य बहुत सुनहरा हो, रातों को जाग कर मां ने ये सपने सजाए है,
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

एक बार यूंही देखे मैने उनके हाथ, उनके हाथों में बहुत सारी दरारें है,
हमारी परवरिश के लिए,  बेशर्त उन्होंने अपने सुंदर हाथ भी बिगड़े है,
हमारे सारे सपने पूरे हो, इसलिए उसने अपने सारे सपने दांव पर लगाए है,
अपनी पसंद, अपने शौक सब छोड़ दिया उसने, कहती है की मुझे मेरे बच्चे उन सब से प्यारे है,
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।
जिंदगी की इस तपती राह पर हमारे लिए, उसने अपने पांव जलाए है, 
पीठे की वो मिठाई जो उन्हे बहुत पसंद है, उसके लिए बचाए पैसे भी हमारे आने वाले कल के लिए बचाए है
जी हां,  ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

जब जब मैंने खुद को मुश्किलों से घेरा है, तब तब मैंने अपनी मां को मेरे साथ खड़ा हुआ पाया है, 
भगवान को देखा नहीं कभी मैंने लेकिन, वो मेरी मां ही है जिसने उनके होने का अहसास कराया है,
बहुत किया है उन्होंने मेरे लिए, लेकिन अब मुझे उनके लिए कुछ करके दिखाना है,
जो कुछ भी छोड़ा उन्होंने मेरे लिए वो उन्हें वापिस भी तो दिलाना है...
इन्हीं जिम्मदारियों के कारण ऐसा होता आया है,
की सालों तक हर त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाया है।।

बुधवार, 5 मई 2021

आत्मग्लानि

हैलो दोस्तों...कैसे है आप?
उम्मीद करती हूं आप अपना और अपनो का ख्याल बखूबी रख रहे होगें...
दोस्तों, बहुत से लोग होते है जिनसे मिलकर आपको लगेगा कि वो बहुत ज्यादा जिद्दी है, या बहुत ज्यादा गुस्से वाले है... या कभी कभी हम उन्हे घमंडी भी समझ लेते है...लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हम कभी कभी लोगो को बहुत ज्यादा जल्दी जज कर लेते है... और ये मान लेते है की हमें उनसे कोई वास्ता नहीं रखना चाहिए।

लेकिन कई बार वो नहीं बल्कि उनके बारे में हम गलत होते है। दरअसल हमें सब को एक जैसा देखने की आदत हो गई है इसलिए हम उन अलग से लोगो को पचा नहीं पाते। क्योंकि वो लोग हमारी दिखावे की दुनिया का हिस्सा नहीं होते, झूठ से उन्हें नफरत होती है, धोखा से वो कोसों दूर होते है, और अपने फायदे के लिए उन्हें किसी को नीचा दिखाना नहीं आता... हां थोड़े सडू हो सकते है... गुस्सा भी नाक पर हो ये भी हो सकता है.. लेकिन दोस्तों मेरे हिसाब से ऐसे इंसान हमारे समाज के लिए ज्यादा अच्छे है...क्योंकि इन्हें अपने फायदे के लिए गिरगिट बनना नहीं आता.... लेकिन आज के इस दोगले समाज में इस प्रकार के लोग बहुत ज्यादा अकेलापन और पिछड़ा हुआ महसूस करते है।

क्योंकि आज कल के दिखावे से ये लोग कोसो दूर होते है और समाज में आज वही अपना पैर जमा लेता है जो दिखावे से भरा हुआ है। आज कल लोगो को सच सुनने की आदत नहीं रही लेकिन ये लोग तो सिर्फ और सिर्फ सच बोलते है। आज कल लोगो को अपनी निंदा सुनने की आदत नहीं रही, लेकिन ये लोग तो जो बोलना होता है वो मुंह पर बोल देते है।आज कल लोगो को झूठी तारीफों से बड़ा मोह है, लेकिन ये लोग ऐसा कर पाने में असमर्थ होते है। 

सबसे बड़ी परेशानी इनको यही होती है कि आजकल का समाज इनको स्वीकार नहीं पाता और न ये इस दिखावे वाले और दोगले समाज का हिस्सा बनना चाहते है। इसलिए कभी कभी ये लोग ऐसी स्थिति का सामना करते है जब ये अपने आपको दुनिया से बिल्कुल कटा हुआ महसूस करते है।  बाकी आप इन पंक्तियों से भी समझ सकते है जो किसी ऐसे ही इंसान पर लिखी गई हैं:-

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,
जब कभी सोचती हूं कि मैं पिछड़ गई हूं,
हर उस इंसान से जो दिखावा करता है,
मन दुखी हो जाता है, जब कभी मैं उस दिखावे का हिस्सा नहीं बन पाती,
लोगो की तरह बाहर कुछ और अंदर कुछ नहीं हो पाती।।

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,
जब कभी ये पाती हूं की अकेली रह गई हूं,
दूर हो गई हूं हर उस इंसान से जो धोखा करता है,
बहुत परेशान हो जाती हूं, जब किसी को धोखे मे नहीं रख पाती,
हां, जब लोगो की तरह किसी की पीठ में छुरा नही घोंप पाती।।

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,  
जब कभी सोचती हूं की मैं कितनी गरीब हो गई हूं,
लोगो को देखा है पैसे के लिए कुछ भी करते हुए,
मन उदास हो जाता है जब कभी मैं इस मुहिम का हिस्सा नहीं बन पाती,
हां, मैं पैसों के लिऐ किसी के तलवे नहीं चाट पाती।।

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,
जब कभी सोचती हूं की दुनिया से बहुत अलग रह गई हूं,
हर उस इंसान से अलग जो किसी को नीचा दिखाना चाहता है,
मन बैचेन हो जाता है, जब मैं किसी को नीचा नहीं दिखा पाती,
हां, दुनिया की इन उम्मीदों पर मैं खरा नहीं उतर पाती।।

हां बहुत जिद्दी हूं, हर किसी की हां में हां नहीं मिला पाती,
दिमाग़ है मेरे पास इसलिए किसी ओर के हिसाब से नहीं चल पाती,
मुझे गलत के लिए बोलना आता है,
इसलिए आखें बंद किए चैन से बैठ नहीं पाती।।

मेरे लिए वो हर इंसान गलत है जो गलत को बढ़ावा दे,
लेकिन मैं गलत के खिलाफ बोले बिना रह नहीं पाती,
इसलिए बहुत कम लोग है मेरी जिंदगी में जो पसंद करते है मुझे,
बाकियों के लिए तो बहुत बुरी हूं मैं क्योंकि झूठ, धोखा, दिखावा, फरेब मैं पचा नहीं पाती।।



रविवार, 2 मई 2021

चुप्पियां

किसी के तीखे शब्दों से जब दिल दुख रहा है,
तब भी हंसना न जाने, रोने से भी ज्यादा क्यों जरूरी था,
धीरे धीरे जब सब साथ छोड़ रहे है,
तब भी उस भीड़ का हिस्सा बनना ना जाने अकेले रहने से ज्यादा क्यों जरूरी था
चुप्पियां बढ़ती जा रही है,
उन सारी जगहों पर जहां बोलना जरूरी था।

अब जब ख़्वाब आ ही नहीं रहे है,
तब भी नींद की राह देखना ना जाने सूरज का इंतजार करने से ज्यादा क्यों जरूरी था,
अब जब बेचैनियां बेशुमार बढ़ती जा रही है,
तब भी सब्र करना ना जाने सुकून ढूंढने से ज्यादा क्यों जरूरी था,
चुप्पियां बढ़ती जा रही है,
उन सारी जगहों पर जहां बोलना जरूरी था।

अब वो अजीज़ ख्वाहिशें हमारी रद्दी हुए जा रही है,
तब भी उन्हें अलविदा कह देना ना जाने उनका हाथ पकड़ने से ज्यादा क्यों जरूरी था,
धीमे धीमे जिंदगी वक्त की आंच पर पकती जा रही है,
तब उसकी आंच बुझा देना ना देना ना जाने उसके पकने देने से ज्यादा क्यों जरूरी था,
चुप्पियां बढ़ती जा रही है,
उन सारी जगहों पर जहां बोलना जरूरी था।

माना रिश्तों में गांठें बढ़ती जा रही है,
तब भी उस धागे को बदल देना ना जाने पुरानी गांठे सुलझाने से ज्यादा क्यों जरूरी था,
काली घटा अब छंटती जा रही है,
तब भी खिड़कियां बंद करना ना जाने खुली हवा में सांस लेने से ज्यादा क्यों जरूरी था,
मुश्किलें रोज़ बढ़ती जा रही है,
तब भी अपने कदम पिछे हटा लेना ना जाने उनका डटकर सामना करने से ज्यादा क्यों जरूरी था
चुप्पियां बढ़ती जा रही है,
उन सारी जगहों पर जहां बोलना जरूरी था।


हैप्पी बर्थडे पापा

  पापा मेरी मां के अलावा वो पहले इंसान है, जिसने मुझे हमेशा महसूस कराया कि मैं कितनी ख़ास हूं । आपने मुझे हमेशा ऐसे रखा है, जैसे मैं कोई रा...